निर्जीव,बिखरते पत्तों की
खड़खडाहट पर अवश खड़ा
शाखाओं का कंकाल पहने
पत्रविहीन वृक्ष
जिसकी उदास बाहें
ताकती हैं
सूखे नभ का
निर्विकार चेहरा
हवा के बेपरवाह झकोरों से
काँपते नीड़ों से
झाँकती,फुदकती ,किलकती
चिड़िया
अपने सुखधाम के
रहस्योद्घाटन से भयभीत
उड़ जाती है
सघन छाँह की ओर
और कुछ सहमी,दुबकी रहती हैं
तिनकों की ओट में असहज,
अकेलेपन के
घाम से व्याकुल वृक्ष
साँझ की शीतल छाँह में
चाँदनी की झीनी चादर में
भीगता,सिहरता रातभर
प्रथम रश्मि के स्पर्श से
अपनी बाहों में फूटे
रेशमी नव कोंपलों को
ओढ़कर इतराता है
वृद्ध होता वृक्ष
यौवन का उल्लास लिये
काल के कपाल पर नित
उगता ,खिलखिलाता,
मुस्काता,थमता,मरुआता,
टूटता,मिटकर फिर से
हरियाता निरंतर
प्रवाहित जीवन चक्र,
आस-निराश का सार समझाता है।
#श्वेता सिन्हा
अकेलेपन के
ReplyDeleteघाम से व्याकुल वृक्ष
साँझ की शीतल छाँह में
चाँदनी की झीनी चादर में
भीगता,सिहरता रातभर बेहतरीन रचना श्वेता जी
आभारी हूँ अनुराधा जी..बेहद शुक्रिया आपकी त्वरित प्रतिक्रिया बहुत अच्छी लगी।
Deleteव्वाहहहह
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
आभार..
सादर..
आभारी हूँ.सर...बेहद शुक्रिया।
Deleteउगता ,खिलखिलाता,
ReplyDeleteमुस्काता,थमता,मरुआता,
टूटता,मिटकर फिर से
हरियाता निरंतर
प्रवाहित जीवन चक्र,......वाह!!!!
सुन्दर रचना
ReplyDeleteजीवन चक्र सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.3.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3274 में दिया जाएगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
उगता ,खिलखिलाता,
ReplyDeleteमुस्काता,थमता,मरुआता,
टूटता,मिटकर फिर से
हरियाता निरंतर
प्रवाहित जीवन चक्र,
आस-निराश का सार समझाता है।
जीवन दर्शन करता बहुत ही सुंदर रचना सखी
जिसकी उदास बाहें
ReplyDeleteताकती हैं
सूखे नभ का
निर्विकार चेहरा
हवा के बेपरवाह झकोरों से
काँपते नीड़ों से...वाह बहुत सुन्दर श्वेता जी
वृद्ध होता वृक्ष
ReplyDeleteयौवन का उल्लास लिये
काल के कपाल पर नित
उगता ,खिलखिलाता,
मुस्काता,थमता,मरुआता,
टूटता,मिटकर फिर से
हरियाता निरंतर
प्रवाहित जीवन चक्र,
आस-निराश का सार समझाता है।
लाजवाब लेखन .....,प्रकृति और जीवन का सार उभर कर आया है आपके सृजन में । अप्रतिम रचना श्वेता जी !!
वाह!!श्वेता ,लाजवाब!!
ReplyDeleteजीवन इसी परिवर्तन का नाम है, सुंदर रचना
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 16 मार्च 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवृद्ध होता वृक्ष
ReplyDeleteयौवन का उल्लास लिये
काल के कपाल पर नित
उगता ,खिलखिलाता,
मुस्काता,थमता,मरुआता,
टूटता,मिटकर फिर से
बहुत सुंदर। बधाई।
शाखाओं का कंकाल पहने
ReplyDeleteपत्रविहीन वृक्ष
जिसकी उदास बाहें
ताकती हैं
सूखे नभ का
निर्विकार चेहरा
वाह!!!
बहुत ही अद्भुत अप्रतिम लाजवाब रचना....
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन फाउंटेन पैन का शौक और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteसुंदर, सरस जीवन चक्र प्रिय श्वेता। शुभ कामनाएं और मेरा प्यार।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/03/113.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सारगर्भित प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteनयी पोस्ट: शाहरुख खान मेरे घर आये थे।
aapne kafi badhiya post likha hai Facebook Account Ka ID Password Kaise Hack Kare
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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