Wednesday, 1 January 2020

यात्रा


समय की ज़ेब से निकालकर 
तिथियों की रेज़गारी
अनजाने पलों के बाज़ार में
अनदेखी पहेलियों की
गठरी में छुपे,
मजबूरी हैं मोलना
अनजान दिवस के ढेरियों को 
सुख-दुख की पोटली में
बंद महीनों को ढोते
स्मृतियों में जुड़ते हैं
खनखनाते नववर्ष।

हर रात बोझिल आँखें
बुनती हैं स्वप्न
भोर की किरणों से
जीवन की जरूरतों की
चादर पर खूबसूरत
 फुलकारी उकेरने की
 कभी राह की सुईयाँ
 लहुलुहान कर देती हैं उंगलियाँ
 कभी टूट जाते हैं हौसलों के धागे
 कर्मों की कढ़ाई की निरंतरता
 आशाओं के मोरपंख
 कभी अनायास ही जीवन को
 सहलाकर मृदुलता से
  ख़ुरदरे दरारों में
 रंग और खुशबू भर जाते हैं
महका जाते हैं जीवन के संघर्ष
पल,दिवस,महीने और वर्ष।

 अटल,अविचल,स्थिर
 समय की परिक्रमा करते हैं
 सृष्टि के कण-कण
 अपनी निश्चित धुरियों में,
 विषमताओं से भरी प्रकृति 
 क्षण-क्षण बदलती है
 जीवों के उत्पत्ति से लेकर
 विनाश तक की यात्रा में,
 जीवन मोह के गुरुत्वाकर्षण
 में बँधा प्रत्येक क्षण
 अपने स्वरूप नष्ट होने तक 
 दिन,वार,मास और वर्ष में
 बदलते परिस्थितियों के अनुरूप
नवल से जीर्ण की
 आदि से अनंत की
 दिक् से दिगंत की
अथक यात्रा करता है।

#श्वेता सिन्हा
१/१/२०२०

27 comments:

  1. बड़ी फ़लसफ़ाना सोच है श्वेता !
    हम तो कहेंगे - सच हों तेरे सारे सपने !
    नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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    1. प्रणाम सर।
      आपका शुभाषीश मिलता रहे सदैव।
      आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ सर।
      आभार।
      सादर।

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  2. Replies
    1. बहुत बहुत आभार दी।
      सादर।

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  3. वाह ! बेहद खूबसूरत तरीके से पिरोया हो साल की माला में दिनों और महीनों की मोतियों को ।
    दिन- महीने- साल गुजरते जाएँ ।
    तेरे जीवन में सारी खुशियाँ भरते जाएँ।
    नववर्ष मंगलमय हो।

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    1. बहुत बहुत आभारी हूँ दीदी।
      सादर।

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  4. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. बहुत-बहुत आभारी हूँ आदरणीय।
      सादर।

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  5. वाह!!श्वेता ,अद्भुत!आपकी लेखनी निरंतर ,सुंदर रचनाओं का सृजन करती रहे ....👍

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    1. बहुत-बहुत आभारी हूँ दी।।
      सादर।

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  6. वाह श्वेता. अद्भुत! क्या कहने तुम्हारी लेखनी के

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    1. बहुत-बहुत आभारी हूँ दी।
      सादर।

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  7. अहा अतिसुन्दर सृजन अनुजा .... बधाई सहित शुभकामनाएं

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    1. बहुत-बहुत आभारी हूँ दी।
      सादर।

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  8. सुंदर रचना, प्रिय श्वेता!!! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई 🌹🌹🌹🌹🌹

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    1. बहुत-बहुत आभारी हूँ दी।
      सादर।

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  9. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, श्वेता। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. बहुत-बहुत आभारी हूँ दी।
      सादर।

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  10. बहुत बहुत उम्दा

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    1. बहुत-बहुत आभारी हूँ.लोकेश जी।
      सादर।

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  11. हर रात बोझिल आँखें
    बुनती हैं स्वप्न
    भोर की किरणों से
    जीवन की जरूरतों की
    चादर पर खूबसूरत
    फुलकारी उकेरने की
    कभी राह की सुईयाँ
    लहुलुहान कर देती हैं उंगलियाँ
    कभी टूट जाते हैं हौसलों के धागे
    कर्मों की कढ़ाई की निरंतरता
    बहुत सुंदर सृजन, सार्थक चिंतन परक ।
    मन की अगनित परतों में दबे हर भाव मुखरित होते ।
    सुंदर रचना।

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    1. बहुत बहुत आभारी हूँ दी।
      सादर।

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  12. जीवन मोह के गुरुत्वाकर्षण
    में बँधा प्रत्येक क्षण
    अपने स्वरूप नष्ट होने तक
    दिन,वार,मास और वर्ष में
    बदलते परिस्थितियों के अनुरूप
    नवल से जीर्ण की
    आदि से अनंत की
    दिक् से दिगंत की
    अथक यात्रा करता है।
    वाह!!!
    क्या बात .....
    बहुत लाजवाब।

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    Replies
    1. बहुत-बहुत आभारी हूँ सुधा जी।
      सादर।

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  13. बहुत-बहुत आभारी हूँ सर।
    सादर।

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  14. बहुत ही सुन्दर रचना सखी, लाजबाव भाव

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    1. बहुत आभारी हूँ अभिलाषा जी।
      सादर।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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