हरी-भूरी छापेवाली
वर्दियों में जँचता
कठोर प्रशिक्षण से बना
लोहे के जिस्म में
धड़कता दिल,
सरहद की बंकरों में
प्रतीक्षा करता होगा
मेंहदी की सुगंध में
लिपटे कागज़ों की,
शब्द-शब्द
बौराये एहसासों की
अंतर्देशीय, लिफ़ाफ़ों की।
वर्दियों में जँचता
कठोर प्रशिक्षण से बना
लोहे के जिस्म में
धड़कता दिल,
सरहद की बंकरों में
प्रतीक्षा करता होगा
मेंहदी की सुगंध में
लिपटे कागज़ों की,
शब्द-शब्द
बौराये एहसासों की
अंतर्देशीय, लिफ़ाफ़ों की।
उंगलियां छूती होंगी रह-रहकर
माँ की हाथों से बँधी ताबीज़ को,
बटुए में लगी फोटुओं
से बात करती आँखें
करवट लेते मौसम की अठखेलियाँ,
हवाओं,बादलों,चाँद से टूटकर छिटके
चाँदनी की मोतियों,रंग बदलते
पहाड़ों,वादियों,सुबह और साँझों
से तन्हाई में गुफ्तगूं करते
मन ही मन मुस्कुराकर
कहते होंगे जरूर-
संगीनों पर सजा रखी है पोटली
याद की चिट्ठियों वाली
आँखों में बसा रखी है ज़िंदगी
मौत की अर्जियों वाली।
#श्वेता सिन्हा
१५ जनवरी २०२१
व्वाहहह
ReplyDelete73 वाँ भारतीय थलसेना दिवस की शुभकामनाएं
बेहतरीन रचना..
सादर.।
ReplyDeleteयथार्थ को प्रस्तुति देती रचना।
बहुत सुन्दर।
सैनिकों को सम्मान देती सुन्दर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteएक कठोर जिंदगी का यथार्थ चित्रण
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना। बड़े दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ। मन आनंदित हो गया। आपकी एक एक रचना पढूंगी।
आपकी यह रचना बहुत ही भावपूर्ण है। हम अधिकतर अपने सैनिकों की वीरता का वर्णन करते हैं पर उनकी मानवीय भावनाओं की उपेक्षा कर देते हैं।
हमारे सैनिक हमारे लिए अपने प्राण ही नहीं पर अपने जीवन की है एक सुख- सुविधा, हर एक पल कुर्बान कर देते हैं। आपकी अंत की पंक्ति झकझोर देती है(सदा की तरह)। हमारे सैनिकों और उनके परिवारों को नमन जिनके कारण हम सुरक्षित और निश्चिंत है।
हमारे सैनिकों की मानवीय भावनाओं को दर्शाती इस बहुत ही सुंदर रचना के लिए हृदय से आभार और आपको प्रणाम।
अच्छी कविता |आप यशस्वी हों |
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपर वेदना जब हो जाती है निज वेदना तब संवेदना का स्वर हृदय पर आघात करता है और शब्द मर्माघाती होकर व्यथित कर जाते हैं । बस .... आह !
ReplyDeleteदेश भक्ति से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर सृजन - - प्रभावशाली लेखन शैली मुग्ध करती हुई - - साधुवाद आदरणीया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रिय श्वेता!। सैनिक के फौलादी तन के पीछे एक कोमल मन भी होता है ये आम तौर पर हम देख नहीं पाते। पर उसकी भावनाओं की गहनता से पड़ताल करती है ये रचना। कवि दृष्टि वहाँ पहुँच जाती है जहाँ कोई और नहीं पहुँच पाता। भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं🌹❤
ReplyDeleteवाह। बहुत सुंदर। सार्थक अभिव्यक्ति। ऐसे प्रभावशाली लेखन के लिए आपको बधाई।
ReplyDeleteक्या बात ... बहुत गहरी सम्व्र्दंशील रचना ...
ReplyDeleteखुद को बलिदान करने में सदा आगे रहते हैं ... सैनिक ...
बहुत बहुत सुन्दर ह्रदय स्पर्शी रचना |बधाई
ReplyDeleteउंगलियां छूती होंगी रह-रहकर
ReplyDeleteमाँ की हाथों से बँधी ताबीज़ को,
बटुए में लगी फोटुओं
से बात करती आँखें
करवट लेते मौसम की अठखेलियाँ,
बहुत ही भावपूर्ण हृदयस्पर्शी सृजन।..
सच में एक सैनिक की वीरता के किस्से बहुत सुने पढे पर उनके मनोभावों को उजागर करती लाजवाब कृति....।