Tuesday, 19 January 2021

चिड़िया

धरती की गहराई को
मौसम की चतुराई को
भांप लेती है नन्ही चिड़िया
आगत की परछाई को।


तरू की हस्त रेखाओं की
सरिता की रेतील बाहों की
बाँच लेती है पाती चिड़िया
बादल और हवाओं की।


कानन की सीली गंध लिए
तितली-सी स्वप्निल पंख लिए
नाप लेती है दुनिया चिड़िया
मिसरी कलरव गुलकंद  लिए।


सृष्टि में व्याप्त मौन अभ्यर्थना
चोंच से निसृत पवित्र प्रार्थना
चुग लेती है तम कण चिड़िया
गूँथ रश्मि की सजल अल्पना।


द्रष्टा और दृश्य की परिभाषा
जन्म-मरण अहर्निश प्रत्याशा 
सोख लेती है अतृप्ति चिड़़िया
बूझो अगर तुम उसकी भाषा।



#श्वेता सिन्हा
१९ जनवरी २०२१


15 comments:

  1. बेहतरीन ..
    सादर

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  2. द्रष्टा और दृश्य की परिभाषा
    जन्म-मरण अहर्निश प्रत्याशा
    सोख लेती है अतृप्ति चिड़़िया
    बूझो अगर तुम उसकी भाषा
    बहुत खूब प्रिय श्वेता!
    चिड़िया की प्रत्येक गतिविधि जीवन में आनंद से परिचय कराती है. ना जाने क्यूँ सब पक्षियों में खास है चिड़िया! पर हम उसकी भाषा जाने तभी उस आनंद को जान सकते हैं. गुलकंद सा मिठास भरा सृजन. हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज बुधवार 12 जनवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. द्रष्टा और दृश्य की परिभाषा
    जन्म-मरण अहर्निश प्रत्याशा
    सोख लेती है अतृप्ति चिड़़िया
    बूझो अगर तुम उसकी भाषा।

    प्रभावशाली लेखन - - शब्दों का साहित्यिक चयन व प्रवाह मुग्ध करता है।

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  5. कायनात की अनुपम कृति है, पक्षी ! इनको देखना ही सकून दे जाता है

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  6. बहुत सुन्दर सराहनीय

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  7. Bahut khub apne ye kafi sunder likha hai. Asha krta hun ki bhavishya me bhi aap ese hi ache vichar likhti rahengi

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  8. वाह!
    द्रष्टा और दृश्य की परिभाषा
    जन्म-मरण अहर्निश प्रत्याशा
    सोख लेती है अतृप्ति चिड़़िया
    बूझो अगर तुम उसकी भाषा।

    उत्कृष्ट रचना ।

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  9. बाँच लेती है पाती चिड़िया बादल और हवाओं की । बूझो अगर तुम उसकी भाषा । बिलकुल सही । सुंदर कविता है यह अपकी श्वेता जी ।

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  10. धरती की गहराई को
    मौसम की चतुराई को
    भांप लेती है नन्ही चिड़िया
    आगत की परछाई को।
    ------------------
    वाह ..बहुत खूब। सुंदर प्रस्तुति।

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  11. रश्मि की सजल अल्पना वाह! क्या ही मोहक अंदाज है श्वेता बहुत प्यारी रचना सार लिए अर्थ लिए।
    सुंदर सृजन के लिए बधाई।
    सस्नेह।

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  12. कानन की सीली गंध लिए
    तितली-सी स्वप्निल पंख लिए
    नाप लेती है दुनिया चिड़िया
    मिसरी कलरव गुलकंद लिए।
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर मनभावन लाजवाब सृजन।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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