Showing posts with label एक बार फिर....छंदमुक्त कविता..शहीद. Show all posts
Showing posts with label एक बार फिर....छंदमुक्त कविता..शहीद. Show all posts

Tuesday 5 May 2020

एक बार फिर....


एक बार फिर....
उनके जीवन की
कहानियाँ रह गयीं अधूरी
बिखरे कुछ सपने,
छूट गये अपने
सूनी माँग,टूटी चूड़ियों
बूढ़ी-जवान,मासूम
दबी सिसकियों के
आर्तनाद
मीठी-खट्टी,खारी
स्मृतियों पर
उनके प्रियजनों के
सर्वाधिकार सुरक्षित हैं।

एक बार फिर...
वीर सैनिकों के 
रक्तरंजित शव
कंधों ने उतारकर रखें है 
चिताओं पर,
मातृभूमि के लिए
मृत्यु का भोग बने
शहीदों की शहादत पर
तिरंगे में लिपटे शौर्य की
गर्वित गाथाएँ
राख़ और अस्थियों के
विसर्जन के साथ
फिर से
बिसार दी जायेंंगी।

एक बार फिर...
निर्दोष सपूतों के
वीरगति पर आक्रोशित मन
पूछता है स्वयं से प्रश्न 
गगन भेदी जयघोष,
चंद सहानुभूति 
ये रटे-रटाये जुमले 
मात्र औपचारिकता-सी
क्यों प्रतीत हो रही है? 
क्या दैनिक समाचारों का
ब्रेकिंग न्यूज़ बनना  
मुख्य पृष्ठ के किसी कोने में
स्थान पाना 
और नये अपडेट के साथ
भुला दिया जाना ही
शहीदों की नियति है?

©श्वेता सिन्हा
५ मई २०२०
-------

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...