चाँद को तकते आहें भरते भरते
आज फिर रातभर जागेगा कोई
ख्यालों में गुम चाँदनी में मचलते
दीदारे यार की दुआ माँगेगा कोई
जब जब छुएँगी ये पागल हवाएँ
समेट कर बाहों को बाँधेगा कोई
बादलों के साथ में उड़ते फिरते
सपनीली आँखों से ताकेगा कोई
जुगनू के परों पे रखकर ख्वाहिशें
उम्मीदों के धागों से बाँधेगा कोई
तन्हा सफर में न साथी मिलेगा
यादों को लिए राह साधेगा कोई
#श्वेता
आज फिर रातभर जागेगा कोई
ख्यालों में गुम चाँदनी में मचलते
दीदारे यार की दुआ माँगेगा कोई
जब जब छुएँगी ये पागल हवाएँ
समेट कर बाहों को बाँधेगा कोई
बादलों के साथ में उड़ते फिरते
सपनीली आँखों से ताकेगा कोई
जुगनू के परों पे रखकर ख्वाहिशें
उम्मीदों के धागों से बाँधेगा कोई
तन्हा सफर में न साथी मिलेगा
यादों को लिए राह साधेगा कोई
#श्वेता