Thursday, 16 March 2017

रात भर जागेगा कोई

चाँद को तकते आहें भरते भरते
आज फिर रातभर जागेगा कोई

ख्यालों में गुम चाँदनी में मचलते
दीदारे यार की दुआ माँगेगा कोई

जब जब छुएँगी ये पागल हवाएँ
समेट कर बाहों को बाँधेगा कोई

बादलों के साथ में उड़ते फिरते
सपनीली आँखों से ताकेगा कोई

जुगनू के परों पे रखकर ख्वाहिशें
उम्मीदों के धागों से बाँधेगा कोई

तन्हा सफर में न साथी मिलेगा
यादों को लिए राह साधेगा कोई

      #श्वेता

4 comments:

  1. चाँद को तकते आहें भरते भरते
    आज फिर रातभर जागेगा कोई.....

    अद्भुत ।।।

    मैं तो सही में जागा

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    1. आपके उत्साहवर्धक शब्दों के लिए हृदय से आभार PKji🍁

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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