Monday 20 February 2017

वजह

उदास रात के दामन मेंं
बिसूरती चाँदनी 
खामोश मंजर पसरा है
मातमी सन्नाटा 
ठंडी छत पर सर्द किरणें
बर्फीला एहसास
कुहासे जैसे घने बादलों का
 काफ़िला कोई
नम नीरवता पाँव पसारती
पल-पल गहराती
पत्तियों की ओट में मद्धिम
फीका सा चाँद
अपने अस्तित्व के लिए लड़ता
चुपचाप अटल सा
कंपकपाते बर्फ़ के मानिंंद
सूनी हथेलियों को
अपने तन के इर्द-गिर्द लपेटे
ख़ुद से बेखबर
मौसम की बेरूख़ी को सहते
यादों को सीने से लगाये
अपनी ख़ता पूछती है नम पलकोंं से
बेवज़ह जो मिली 
उस सज़ा की वजह पूछती है 
एक रूह तड़पती-सी
यादोंं को मिटाने का रास्ता पूछती है।


      #श्वेता


Saturday 18 February 2017

ऐ दिल,चल तू संग मेरे


ऐ दिल,तू चल संग मेरे
मेरे ख्यालों के हसीन
दुनिया में...
जहाँ हूँ मैं और तुम हो
उस हसीन दुनिया मे

जाड़ों की नरम धूप सी
ओढ़कर तेरी यादों को
अलसाये तन बदन और
करवटों में शाम हो जाये

ऐ दिल,तू चल....

बर्फ की पहाडों पर खड़े
नाम तेरा जोर पुकारे हम
खामोशियों में गूँजें एहसास
लौटकर मुझसे लिपट जाये

ऐ दिल , तू चल....

चाँदनी की ओढ़नी मुखड़े पे डाले
जुगनुओं के पायल पहने नाचे
संदली महक तेरी याद की
सारी रात बरसे हम भींग जाये

ऐ दिल, तू चल संग मेरे
मेरे ख्यालों के हसीन
दुनिया मे....
जहाँ मैं हूं और तुम हो
उस हसीन दुनिया में

#श्वेता🍁


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Friday 17 February 2017

तुम्हारी सदा

तन्हाई में बिखरी खुशबू ए हिना तेरी है
वीरान खामोशियों से आती सदा तेरी है

टपक टपक कर भरता गया दामन मेरा
फिर भी खुशियों की माँग रहे दुआ तेरी है

अच्छा बहाना बनाया हमसे दूर जाने का
टूट गये हम यूँ ही या काँच सी वफा तेरी है

सुकून बेचकर ग़म खरीद लाये है तुमसे
लगाया था बाज़ार इश्क का ख़ता तेरी है

वक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते
मौसम पतझड़ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है

      #श्वेता🍁

वादा

तुमको ही चाहा है दिल ने
बस तुमको ही चाहेगे
तेरे दर्द में हमदम मेरे
हमसाया बन जायेगे
अपने माला के मनके में
तेरा ही नाम सजायेगे
पलकों के सारे ख्वाब सुहाने
तुमसे मिलने आयेगे
कभी रूठ भी जाओ तो हम
प्यार से तुमको मनाएगे
तेरी एक मुस्कान को हम तो
काँटों पे चल जायेगे
ये वादा है तुमसे मेरे साजन
तुम गर हमको भूल भी जाओ
हम न तुझे भुलाएगे
जीवन के अंतिम क्षण तक
सिर्फ और सिर्फ
तेरे लिए जीये जायेगे

      #श्वेता🍁



कर्मपथ

खो गया चंदा बुझ गया दीपक
जाग उठा अंबर का आँचल
टूटा मौन खिलखिलायी धरा
पौधै सँवरे बाग है निखरा
धुल गये फूलों के रूख़सार
उठाकर उदास रात का परदा
दिन निकला मुस्काता सा
भँवरे गूँजें कलियाँ झूमी
अमराई में कोयल कूके
पात पात लहराया वन में
भोर हुई अब आँखें खोलो
सूरज के संग ताल मिलाओ
कल कल गाती नदिया जैसी
कर्म पथ पर बढ़ते जाओ
अपने मन के आस किरण को
भर दो बस्ती बाड़ी जन जन में

                                 #श्वेता🍁



Thursday 16 February 2017

यादें

ये साँसों से लिपटी हुई
गमों की गर्द
दिल की बेवजह तड़प
रह रह कर कसकती
चाह कर भी नहीं मिटती
बाँध रखा हो मानो
अपनी परछाई से
तोड़कर सारी जंजीरे
हम , देखना एक दिन
आज़ाद हो जायेगे
नहीं छू पायेगी तन्हाई
में सुबकती मायूसियाँ
बेसबब यादों का
नम सा सिलसिला
छोड़कर अनकहा दर्द
फिर,लौटकर वापस
आ जायेगी तेरी सदाएँ
वापस तेरे पास ही
हम ,एक दर्दभरी
फरियाद बन तुम्हें
बेइंतिहा याद आयेगे

                          #श्वेता🍁

इज़हार ए मोहब्बत

दिल की हर बात जो
हम कह नही पाते है
कभी फूल कभी बादल
कभी चाँद कभी तारों से
अपने दिल का हाल सुनाते है
हवाओं को चूमकर
हज़ारों पैगाम भिजवाते है
सुर्ख गुलाब बेताबियों की
खूबसूरत निशानी है

लजीली पलकों की
धड़कते सीने की
बेताबी भरे सुबह
बेचैन करती शामों
कश्मकश में उलझे
नेह डोर में बंधते
रेशमी एहसास की
अनकही कहानी  है

रख कर पंखुड़ियों में
सारे अनकहे लफ्ज़
भरकर प्यार की
खुमारी से लबरेज़
हाल ए दिल भेजा है
शायद वो समझ पाए
लरजते जज़्बातों को
गुलाब एक फूल नहीं
एक प्यार भरे दिल की
बेजुबान कहानी है

                         #श्वेता🍁

                            

सोचती हूँ अक्सर..

सोचती हूँ अक्सर
तुम गुजरो कभी
मुझमें होकर
छूकर एहसास मेरे
कभी देखो नज़रभर
कभी चुन लो मुझे
मोतियों की तरह
उठा लो अंजुरी भर
फिर बैठकर
किसी चाँदनी रात की
सपनीली मुंड़ेर पर
प्रेम की डोरी में
टिमटिमाते सितारो की
नन्हें ख्वाहिशों को
गूँथ लो मुझे
और पहन लो
अपने साँसों में
अटूट माला की तरह
तुम्हारी धड़कन बन
लिपटी रहूँ वजूद से
कभी न जुदा होने को

                          #श्वेता🍁



मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...