Friday, 17 February 2017

तुम्हारी सदा

तन्हाई में बिखरी खुशबू ए हिना तेरी है
वीरान खामोशियों से आती सदा तेरी है

टपक टपक कर भरता गया दामन मेरा
फिर भी खुशियों की माँग रहे दुआ तेरी है

अच्छा बहाना बनाया हमसे दूर जाने का
टूट गये हम यूँ ही या काँच सी वफा तेरी है

सुकून बेचकर ग़म खरीद लाये है तुमसे
लगाया था बाज़ार इश्क का ख़ता तेरी है

वक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते
मौसम पतझड़ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है

      #श्वेता🍁

11 comments:

  1. You have an amazing style of exceptional good quality writing ability. May god bless you

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना.....।

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना.....।

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  4. आपका आभार बहुत सारा PK ji
    आपके सराहनीय शब्दों से मनोबल बढ़ता है।🙏

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  5. आपका बहुत शुक्रिया रश्मि जी

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  6. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 2 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. वक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते
    मौसम पतझड़ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है
    बहुत खूब....., बेहतरीन और लाजवाब सृजन श्वेता जी ।

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  8. वाह!!श्वेता ,क्या बात है !!बहुत खूब ।

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  9. वाह उम्दा!
    वो वफा करें हम जफा करें
    कुछ भी करे बस दिल से हम दुआ ही करें।
    अप्रतिम सुंदर।।

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  10. बहुत खूब श्वेता जी ,नव वर्ष की हार्दिक बधाई

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  11. वाह!!!
    बहुत ही उम्दा... लाजवाब...

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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