तन्हाई में बिखरी खुशबू ए हिना तेरी है
वीरान खामोशियों से आती सदा तेरी है
टपक टपक कर भरता गया दामन मेरा
फिर भी खुशियों की माँग रहे दुआ तेरी है
अच्छा बहाना बनाया हमसे दूर जाने का
टूट गये हम यूँ ही या काँच सी वफा तेरी है
सुकून बेचकर ग़म खरीद लाये है तुमसे
लगाया था बाज़ार इश्क का ख़ता तेरी है
वक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते
मौसम पतझड़ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है
#श्वेता🍁
वीरान खामोशियों से आती सदा तेरी है
टपक टपक कर भरता गया दामन मेरा
फिर भी खुशियों की माँग रहे दुआ तेरी है
अच्छा बहाना बनाया हमसे दूर जाने का
टूट गये हम यूँ ही या काँच सी वफा तेरी है
सुकून बेचकर ग़म खरीद लाये है तुमसे
लगाया था बाज़ार इश्क का ख़ता तेरी है
वक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते
मौसम पतझड़ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है
#श्वेता🍁
You have an amazing style of exceptional good quality writing ability. May god bless you
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.....।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.....।
ReplyDeleteआपका आभार बहुत सारा PK ji
ReplyDeleteआपके सराहनीय शब्दों से मनोबल बढ़ता है।🙏
आपका बहुत शुक्रिया रश्मि जी
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 2 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते
ReplyDeleteमौसम पतझड़ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है
बहुत खूब....., बेहतरीन और लाजवाब सृजन श्वेता जी ।
वाह!!श्वेता ,क्या बात है !!बहुत खूब ।
ReplyDeleteवाह उम्दा!
ReplyDeleteवो वफा करें हम जफा करें
कुछ भी करे बस दिल से हम दुआ ही करें।
अप्रतिम सुंदर।।
बहुत खूब श्वेता जी ,नव वर्ष की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा... लाजवाब...