छलछलाए आसमां की आँखों से
बरसती बैचेन बूँदें
देने लगी मन की खिड़की पर दस्तक
कस कर बंद कर ली ,फिर भी,
डूबने लगी भीतर ही भीतर पलकें,
धुँधलाने लगे दृश्य पटल
हृदय के चौखट पर बनी अल्पना में
मिल गयी रंगहीन बूँदे,
भर आये मन लबालब
नेह सरित तट तोड़ कर लगी मचलने,
मौन के अधरों की सिसकियाँ
शब्दों के वीरान गलियारे में फिसले,
भावों के तेज झकोरे से
छटपटा कर खुली स्मृतियों के पिटारे,
झिलमिलाती बूँदों मे
बहने लगी गीली हवाओं की साँसे,
अनकहे सारे एहसास
दुलराकर नरम बाहों से आ लिपटे,
सलेटी बादलों के छाँव में
बड़ी दूर तक पसरे नहीं गुजरते लम्हें,
बारिश से पसीजते पल
ढ़ूँढ रहे चंद टुकड़े धूप की कतरनें।
#श्वेता🍁
बरसती बैचेन बूँदें
देने लगी मन की खिड़की पर दस्तक
कस कर बंद कर ली ,फिर भी,
डूबने लगी भीतर ही भीतर पलकें,
धुँधलाने लगे दृश्य पटल
हृदय के चौखट पर बनी अल्पना में
मिल गयी रंगहीन बूँदे,
भर आये मन लबालब
नेह सरित तट तोड़ कर लगी मचलने,
मौन के अधरों की सिसकियाँ
शब्दों के वीरान गलियारे में फिसले,
भावों के तेज झकोरे से
छटपटा कर खुली स्मृतियों के पिटारे,
झिलमिलाती बूँदों मे
बहने लगी गीली हवाओं की साँसे,
अनकहे सारे एहसास
दुलराकर नरम बाहों से आ लिपटे,
सलेटी बादलों के छाँव में
बड़ी दूर तक पसरे नहीं गुजरते लम्हें,
बारिश से पसीजते पल
ढ़ूँढ रहे चंद टुकड़े धूप की कतरनें।
#श्वेता🍁