Wednesday 19 July 2017

ख्यालों का चूल्हा


जगे मन के अनगिनत
परतों के नीचे
जलता रहता है
अनवरत ख्यालों का चूल्हा,
जिस पर बनते हैंं,
पके,अधपके,नमकीन,
मीठे,तीखे ,चटपटे ,जले
बिगड़े ,अधकच्चे
विचारों के व्यंजन,
जिससे पल-पल
बदलता रहता है मिज़ाज
और मिलता रहता है
हर बार एक नया स्वाद
ज़िंंदगी को।
ख़्यालों की भट्टी की धीमी
आँच पर
सुलगते है
कोमल एहसास,
असंख्य ज़ज़्बात के पन्ने
और उनके सुनहरे
लपटों में सेेंंके जाते हैंं
चाश्नी से तरबतर रिश्ते
बहुत एतिहात से
ताकि बनी रहे मिठास
ज़िंदगी की कडुवाहटों की थाली मेंं।
न बुझने दीजिए
ख्यालों के सोंधे चूल्हे
बार-बार नयी हसरतों
की लकड़ी डालकर
आँच जलाये रहिये
ताकि फैलती रहे
नयी पकवानों की खुशबू
और बनी रहे भूख
ज़िंदगी का
एक टुकड़ा चखने की।
    #श्वेता🍁

*चित्र साभार गूगल*

16 comments:

  1. भावनापूर्ण अभिव्यक्ति। सुंदर !आभार। "एकलव्य"

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सारा आभार आपका' एकलव्य 'जी।
      शुक्रिया आपका।

      Delete
  2. ढ़ेर सारा प्यार समेटे हुए है बेहद खूबसूरत पंखुड़ियों का गुलदस्ता

    ReplyDelete
    Replies
    1. हमेशा की तरह आपकी प्रतिक्रिया , बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संजय जी।

      Delete
  3. इंसानी रिश्तों के उतार चढ़ाव को रूपकों के माध्यम से बड़ी ही खूबसूरती से आप ने प्रस्तुत किया है ! लाजवाब रचना ! बहुत सुंदर आदरणीया ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, सर , बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका
      आपका आशीष मिला बहुत प्रसन्नता हुई।

      Delete
  4. इन ख्यालों के चूल्हे की महक यूँ ही आती रहे ... नयी ताजगी, नई खुशबू लिए खूबसूरत रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका सुंदर प्रतिक्रिया के लिए नासवा जी।

      Delete
  5. वास्तव में ख्यालों का चूल्हा बड़ा ही गजब होता है
    बेहतरीन रचना सच्ची और अच्छी रचना बधाई ,श्वेता जी ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका रितु जी।
      आपका हृदय से शुक्रिया।

      Delete
  6. बहुत सुंदर
    अच्छी रचना श्वेता

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार लोकेश जी आपका।

      Delete
  7. वाह! क़माल का रूपक है ख़यालों का चूल्हा। रिश्तों की यथार्थपरक सोच को कल्पनाओं की ज़मीं पर बख़ूबी उतारा है। सुन्दर ,प्रेरक रचना। बधाई श्वेता जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपक रवींद्र जी आपकी सुंदर ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए।
      सदैव आभारी रहेगे।

      Delete
  8. बहुत ही खूबसूरती से लिखा है आपने । जिंदगी में नए स्वाद भरने के लिए खयालों के चूल्हे पर कुछ ना कुछ पकते रहना चाहिए । सुंदर !

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका सस्नेह मीना जी।

      Delete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...