Thursday, 20 April 2017

खुशबू आपकी

सुर्ख गुलाब की खुशबुएँ उतरने लगी
रूठी ज़िदगी फिर से अब सँवरने लगी

बाग में तितलियाँ फूलों को चूमे है जब
लेकर अँगड़ाईयाँ हर कली बिखरने लगी

एक टुकड़ा धूप जबसे आँगन मेरे उतरा
पलकों की नमी होंठों पे सिहरने लगी

दूर जाकर भी इन आँखों मे मुस्कुराते हो
दो पल के साथ को हसरतें तड़पने लगी

तुम मेरी ज़िदगी का हंसी किस्सा बन गये
एहसास को छूकर दीवानगी गुजरने लगी

       #श्वेता🍁


2 comments:

  1. तुम मेरी ज़िदगी का हंसी किस्सा बन गये
    एहसास को छूकर दीवानगी गुजरने लगी

    श्वेता जी दीवानगी का सुंदर एहसास ।।।।

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका P.K ji

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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