दस्तूर ज़माने की तोड़ने की सज़ा मिलती है
बेहद चाहने मे, तड़पने की उम्रभर दुआ मिलती है
ज़मीं पर रहकर महताब को ताका नहीं करते
जला जाती है चाँदनी, जख्मों को न दवा मिलती है
किस यकीं से थामें रहे कोई यकीं की डोर बता
ख़्वाब टूटकर चुभ जाए ,तो ज़िंदगी लापता मिलती है
जिनका आशियां बिखरा हो उनका हाल क्या जानो
अश्क़ों के तिनके से बने ,मकां मे फिर जगह मिलती है
क्यों लौटे उस राह जिसकी परछाईयाँ भी अपनी नही
चंद ख़ुशियों की चाहत में, तन्हाइयाँ बेपनाह मिलती है
#श्वेता🍁
बेहद चाहने मे, तड़पने की उम्रभर दुआ मिलती है
ज़मीं पर रहकर महताब को ताका नहीं करते
जला जाती है चाँदनी, जख्मों को न दवा मिलती है
किस यकीं से थामें रहे कोई यकीं की डोर बता
ख़्वाब टूटकर चुभ जाए ,तो ज़िंदगी लापता मिलती है
जिनका आशियां बिखरा हो उनका हाल क्या जानो
अश्क़ों के तिनके से बने ,मकां मे फिर जगह मिलती है
क्यों लौटे उस राह जिसकी परछाईयाँ भी अपनी नही
चंद ख़ुशियों की चाहत में, तन्हाइयाँ बेपनाह मिलती है
#श्वेता🍁
सच कहा आपने.....
ReplyDeleteदस्तूर ज़माने की तोड़ने की सज़ा मिलती है...
दस्तूर और मर्यादा की सीमा ही नींव हैं हमारे सुंदर भविष्य के सुनहरे तस्वीर की।।।।
जी आदरणीय, आपके उत्तम विचार
Deleteबहुत बहुत आभार आपका,आपकी सारगर्भित
प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया🙏🙏
कितनी खामोशी भरी है प्रीत
ReplyDeleteमै हार कर भी जाता हूँ जीत....
जी आदरणीय, सुंदर पंक्तियाँ रचने के लिए बहुत आभार🙏🙏
Deleteकिस यकीं से थामें रहे कोई यकीं की डोर बता
ReplyDeleteख्वाब टूटकर चुभ जाए, तो ज़िदगी लापता मिलती है।
डूबकर लिखा जाये
महसूस कर लिखा जाये
तब कहीं यूँ बात होती है
टूट कर लिखा जाये
रूठ कर लिखा जाये
तब गम की बरसात होती है।
ख़ूब बेहतरीन जिसे कहते हैं वह आपने लिखा है। नमन आपको।
जी आदरणीय, आपकी उत्साहवर्धक सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार शुक्रिया हृदय से आभारी है आपके।
Deleteबहुत शुक्रिया🙏
बहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह!!श्वेता ,बहुत खूब ।
ReplyDeleteचाँदनी जलाती है पर प्रेम को देखने का सुकून भी देती है ....
ReplyDeleteलाजवाब शेर हैं ...
ज़मीं पर रहकर महताब को ताका नहीं करते
ReplyDeleteजला जाती है चाँदनी, जख्मों को न दवा मिलती है- प्रिय श्वेता जी प्रेम की अद्भुत सजा का एहसास बहुत आनंद भरा है ---