ज़हन के आसमान पर
दिनभर उड़ती रहती,
ढूँढ़ती रहती कुछपल का सुकून,
बेचैन ,अवश, तुम्हारी स्मृतियों की तितलियाँ
बादलों को देख मचल उठती
संग मनचली हवाओं के
छूकर तुम्हें आने के लिए,
एक झलक तुम्हारी
अपनी मुसकुराहटों मे
बसाने के लिए,
टकटकी लगाये चाँद को
देखती तुम्हारी आँखों में
चाँदनी बन समाने के लिए,
अपनी छवि तुम्हारी उनींदी पलकों में
छिपकर देखने को आतुर
तुम्हारे ख़्यालों के गलियारे में
ख़्वाब में तुमसे बतियाने के लिए,
तुम्हारे लरजते ज़ज़्बात में
खुद को महसूस करने की
चाहत लिए
तन्हाई में कसमसाती,
कविताओं के सुगंधित
उपवन मे विचरती,
शब्दों में खुद को ढ़ूँढ़ती
तितलियाँ उड़ती रहती हैंं,
व्याकुल होकर
प्रेम पराग की आस में,
बस तुम्हारे ही ख़्यालों के
मनमोहक फूल पर।
#श्वेता
दिनभर उड़ती रहती,
ढूँढ़ती रहती कुछपल का सुकून,
बेचैन ,अवश, तुम्हारी स्मृतियों की तितलियाँ
बादलों को देख मचल उठती
संग मनचली हवाओं के
छूकर तुम्हें आने के लिए,
एक झलक तुम्हारी
अपनी मुसकुराहटों मे
बसाने के लिए,
टकटकी लगाये चाँद को
देखती तुम्हारी आँखों में
चाँदनी बन समाने के लिए,
अपनी छवि तुम्हारी उनींदी पलकों में
छिपकर देखने को आतुर
तुम्हारे ख़्यालों के गलियारे में
ख़्वाब में तुमसे बतियाने के लिए,
तुम्हारे लरजते ज़ज़्बात में
खुद को महसूस करने की
चाहत लिए
तन्हाई में कसमसाती,
कविताओं के सुगंधित
उपवन मे विचरती,
शब्दों में खुद को ढ़ूँढ़ती
तितलियाँ उड़ती रहती हैंं,
व्याकुल होकर
प्रेम पराग की आस में,
बस तुम्हारे ही ख़्यालों के
मनमोहक फूल पर।
#श्वेता
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत आभार आपका लोकेश जी
Deleteटकटकी, उनींदी,तुमसे बतियाने के लिए , लरजते जज्बात , तन्हाई में कसमसाती .....
ReplyDeleteवाह शब्दों की अद्भुत छटा ! अब आगे क्या कहूँ!
जी,आपने सराहनीय शब्दों के लिए बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका विश्वमोहन जी।
ReplyDeleteप्रेमिका के मन के भावों को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने।
ReplyDeleteबहुत आभार आपका ज्योति जी।
Deleteलाजवाव
ReplyDeleteजी बहुत शुक्रिया आभार आपका।
Deleteदिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संजय जी।
Deleteबहुत धन्यवाद जी।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (२५-०१-२०२०) को शब्द-सृजन-८ 'पराग' (चर्चा अंक-३६१२) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भावो से सजी ,हृदयस्पर्शी सृजन श्वेता जी ,सादर नमस्कार
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर खूबसूरत सृजन
ReplyDeleteअद्भुत शब्दविन्यास से सजा
वाह!!!
बहुत सुंदर!!
ReplyDeleteगहरे अहसास लिए अभिनव रचना।
सुंदर शब्दावली सुंदर गूंथन।
प्यारी रचना।
एकांत में भावों के सागर में डूबना और प्रकृति के सानिध्य में अनुभूतियों के साथ स्मृतियों के उपवन में विचरते हुए किसी चित्र को जीवंत करना अद्भुत अनुभव है। सौम्य सुकोमल भावों से भरी मनमोहक रचना जो रसज्ञ पाठक को सुकून से भर देती है।
ReplyDeleteस्वप्न सरीखी सुंदर रचना। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया श्वेता जी ।
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