सालों बाद
आज हाथ आयी
मेरी पुरानी डायरी के
खोये पन्ने,
फटी डायरी की
खुशबू में खोकर,
छूकर उंगलियों के
पोर से गुजरे वक्त को
जीने लगी उन
साँसें लेती यादों को,
मेरी लिखी पहली कविता,
जिसके किनारे पर
काढ़ी थी मैंने
लाल स्याही से बेलबूटे,
जाने किन ख़्यालों में बुनी
आड़ी तिरछी लकीरें
उलझी हुयी अल्पनाएँ
जाने किन मीठी
कल्पनाओं में लिखे गये
नाम के पहले अक्षर,
सखियों के खिलखिलाते
हँसते- मुस्कुराते कार्टून,
मेंहदी के नमूने,
नयी-नयी रसोई बनाने
की उत्साह में लिखे गये
संजीव कपूर शो के व्यंजन
कुछ कुछ अस्पष्ट
टेलीफोन नम्बर
कुछ पन्नों पर धुँधले शब्द
जिस पर गिरे थे
मेरे एहसास के मोती,
अल्हड़,मादक ,यौवन
की सपनीली अगड़ाईयाँ,
बचकाने शब्दों में अभिव्यक्त,
चाँद, फूल और परियों की
आधी-अधूरी कहानियाँ
कुछ सूखे गुलाब की पंखुड़ियाँ
दो रूपये के नये नोट का
अनमोल उपहार,
जिसे कभी माँ ने दिया था
जिसका चटख गुलाबी रंग
अब फीका हो गया है,
दम तोड़ते पीले पन्नों पर
लिखी मेरी भावनाओं
के बेशकीती धरोहर
जिसके सूखे गुलाब
महक रहे हैं
गीली पलकों पर समेटकर
यादें सहेजकर रख दिया
अपने गुलाबी दुपट्टे में लपेटकर,
फुरसत के पलों में
इन फीके पन्नों से
गुजरे वक्त की चमकीली
तस्वीर पलटने के लिए।
#श्वेता सिन्हा
पुरानी डायरी में बहुत यादें छुपी रहती है जो जब बाहर निकलती हैं तो मन में हलचल मचा देती हैं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
जी सही कहा आपने कविता जी,बहुत आभार शुक्रिया आपका जी।
Deleteबेहतरीन कविता
ReplyDeleteबहुत खूब
बहुत आभार आपका लोकेश जी
Deleteआदरणीय ,श्वेता शब्द कभी नहीं मरते, यदि वो भावनायें व्यक्त करतीं हो तो वो भी अमर हो जायेंगे ,सुन्दर संस्मरण बताती रचना आभार। "एकलव्य'
ReplyDeleteजी सही कहा आपने,आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत शुक्रिया आभार आपका आदरणीय ध्रुव।
Deleteवाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...
ReplyDeleteजी बहुत आभार शुक्रिया संजय जी आपका।।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 17 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमन की कोमल भावनाओं को दर्शाती हुई