Sunday, 15 October 2017

नयन बसे

नयन बसे घनश्याम,
मैं कैसे देखूँ जग संसार।
पलकें झुकाये सबसे छुपाये, 
बैठी घूँघटा डार।
मुख की लाली देखे न कोई,
छाये लाज अपार।
चुनरी सरकी मैं भी उलझी,
लट में उंगली डार।
कंगन चुड़ी गिन-गिन हारी,
बैरी रैन की मार।
जियरा डोले श्याम ही बोले,
हार विरह की रार।
सखिया छेड़े जिया जलाये,
लेके नाम तुम्हार।
न बूझै क्यों तू निर्मोही,
देखे न अँसुअन धार।
मन से बँध गयी नेह की डोरी,
तोसे प्रीत अपार।
मेरे मोह बंध जाओ न,
मैं समझाऊँ प्रेम का सार।
कुछ न चाहूँ हे,मुरलीधर,
कुछ पल साथ अपार।
करने को सर्वस्व समर्पण,
ले द्वार खड़ी उर हार।

      #श्वेता🍁

27 comments:

  1. श्यामल शब्दों के उलझे अलकों को प्रिय की प्रतीक्षा में आतुर अपलक पलकों पर सजाये अनुराग की भंगिमा के परिधान में संवरी भाव विह्वल काव्य नायिका के अंतस के उछाह का अलौकिक उच्छ्वास!!!

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    1. अति आभार आपका विश्वमोहन जी,आपकी सराहना भरे शब्द साधारण रचना को जीवंत कर देते है।तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  2. वाह !
    अति उत्तम !
    श्रृंगार रस का माधुर्य बिखेरती,बरसाती मनमोहक रचना।
    भावप्रवण अभिव्यक्ति।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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    1. बहुत बहुत बहुत आभार आपका रवींद्र जी।तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।आपकी शुभकामनाएँ सदैव अपेक्षित है।

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  3. मनभावन प्रस्तुति....
    वाह!!!
    👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी।तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  4. बहुत‎ खूब , अति सुन्दर‎ .

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  5. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।

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  6. श्याम रंग में पगी मनभावन कविता.बहुत सुंदर.

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका राजीव जी।

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  7. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 22 अक्टूबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. अति आभार आपका आदरणीय सर रचना को मान देने के लिए तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सर।

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  9. भावप्रवण अभिव्यक्ति...... बहुत सुन्दर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका नीतू जी।ब्लॉग पर स्वागत है आपका।

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  10. सुन्दर रचना

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    1. अति आभार आपका ओंकार जी।तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  11. जियरा डोले श्याम ही बोले,
    आए न चैन करार।
    सखिया छेड़े जिया जलाये,
    लेके नाम तुम्हार।

    बहुत सुंदर रचना। छंदों से सजी ठुमरी जैसी गायन योग्य मोहक रचना।

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    1. अति आभार आपका अमित जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।आपकी सराहना सदैव आनंदित करती है।

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  12. बहुत ही सराहनीय

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    1. अति आभार आपका ध्रुव जी।

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  13. मनमोहक अनुपम रचना !
    या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहिं कोय ।
    ज्यौं ज्यौं बूडै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्जवल होय ।।

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से.शुक्रिया आपका खूब सारा मीना जी।
      आपकी सुंदर पंक्तियाँ अनायास ही मुस्कान ले आयी।सदा स्नेह बनाये रखे।

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  14. कान्हा के प्रेम में रची बसी लाजवाब रचना ... प्रार्थना का भाव लिए ...

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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