Thursday 16 November 2017

ख्याल


साँझ की
गुलाबी आँखों में,
डूबती,फीकी रेशमी
डोरियों के
सिंदूरी गुच्छे,
क्षितिज के कोने के
स्याह कजरौटे में
समाने लगे,
दूर तक पसरी
ख़ामोशी की साँस,
जेहन में ध्वनित हो,
एक ही तस्वीर
उकेरती है,
जितना  झटकूँ
उलझती है
फिसलती है आकर
पलकों की राहदारी में
ख्याल बनकर।

23 comments:

  1. सांझ की गुलाबी आँखें......
    वाह!!!
    स्याह कजरौटे में....
    अद्भुत शब्द संयोजन
    बहुत ही सुन्दर ख्याल....

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  2. जेहन में ध्वनित हो,
    एक ही तस्वीर............बेनजीर! बेनजीर! ! बेनजीर!!!

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    1. हृदयतल से अति आभार आपका विश्वमोहन जी।आपकी सराहना ऊर्जा से भर देती है।

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  3. अद्भुत शब्दों की चूनर, लाज़वाब

    सादर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अपर्णा जी।तहेदिल से शुक्रिया आपका खूब सारा।

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  4. वाह! बहुत सुंंदर ख्याल..
    बखूबी शब्दों को पिरोया है।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  5. सच में कहते हैं हम भी वाह...
    खयाल रखिएगा
    सादर

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    1. आपके अतुल्य स्नेह से मन अभिभूत है दी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।तहेदिल से शुक्रिया।

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  7. बहुत खूब........

    रचना पढ़ते वक़्त उन ख्यालों में खो जाने का मन करता है..

    तेरे ख्यालों के ख्यालों में इस कदर खोई,
    जैसे खोजी है ख्यालों की दुनिया कोई,

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    1. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया का अति आभार आपका प्रिय नीतू जी। तहेदिल से शुक्रिया आपका सस्नेह।

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  8. उम्दा ख़याल
    शानदार रचना

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।

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  9. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका ध्रुव जी।

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  10. बहुत बहुत आभार आपका दी:)
    तहेदिल से शुक्रिया।

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  11. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका सर।

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  12. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया, ब्लॉग पर आपका स्वागत है।तहेदिल से शुक्रिया।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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