Tuesday 20 February 2018

पलाश


पिघल रही सर्दियाँ
झर रहे वृक्षों के पात
निर्जन वन के दामन में
खिलने लगे पलाश

सुंदरता बिखरी फाग की
चटख रंग उतरे घर आँगन
लहराई चली नशीली बयार
लदे वृक्ष भरे फूल पलाश

सिंदूरी रंग साँझ की
मल गये नरम कपोल
तन सजे रेशमी चुनर-सी
केसरी फूल पलाश

आमों की डाली पे गाये
कोयलिया विरहा राग
अकुलाहट हिय पीर उठे
हृदय फूटे फूल पलाश

गंधहीन पुष्पों की बहारें
मृत अनुभूति के वन में
दावानल सा भ्रमित होता
मन छलने लगे पलाश

       -- श्वेता सिन्हा



17 comments:

  1. पिघल रही सर्दियाँ
    झर रहे वृक्षों के पात
    निर्जन वन के दामन में
    खिलने लगे पलाश

    बहुत सुंदर रचना
    बेहतरीन अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी,बहुत आभार आपका लोकेश जी।
      आपके निरंतर प्रोत्साहन के लिए हृदयतल से शुक्रिया।

      Delete
  2. खूबसूरत वर्णन पलाश का ।

    ReplyDelete

  3. गंधहीन पुष्पों की बहारें
    मृत अनुभूति के वन में
    दावानल सा भ्रमित होता
    मन छलने लगे पलाश-----
    अति सुंदर और मर्मस्पर्शी रचना | पलाश के बहाने बहुत ही उत्तम सृजन |

    ReplyDelete
  4. गंधहीन पुष्पों की बहारें
    मृत अनुभूति के वन में
    दावानल सा भ्रमित होता
    मन छलने लगे पलाश
    बहुत ही शानदार...
    लाजवाब....
    वाह!!!

    ReplyDelete
  5. वाह!!! बहुत खूबसूरत
    सूंदर भाव और शब्द चयन हमेशा की तरह।
    शानदार रचना की बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  6. चटख रंग उतरे घर आँगन
    लहराई चली नशीली बयार
    लदे वृक्ष भरे फूल पलाश

    बहुत खूब...., श्वेता जी मन मोह लिया आपके पलाश के फूलों ने.

    ReplyDelete
  7. गंधहीन पुष्पों की बहारें
    मृत अनुभूति के वन में
    दावानल सा भ्रमित होता
    मन छलने लगे पलाश
    बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति, स्वेता!

    ReplyDelete
  8. चित्रमय ऋतु वर्णन ।बहुत सुंदर रचना श्वेता जी ।

    ReplyDelete
  9. अत्यंत ही सुंदर रचना है

    ReplyDelete
  10. पलाश के फूल मन मयूर को हिला देते हैं फागुन के आगमन और सर्द ऋतु के गमन की बख़ूबी लिखा है ...
    अच्छी रचना है ...

    ReplyDelete
  11. नए आयाम लेकर चला हूँ मै फिर से एक रात लेकर चला हूँ।।
    आपकी कला ऐसे ही बढ़ती रहे।।।

    ReplyDelete
  12. दावानल सा भ्रमित होता
    मन छलने लगे पलाश
    बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति, स्वेता!

    ReplyDelete
  13. बेहतरीन रचना श्वेता जी 👌

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...