सूना बड़ा है तुम बिन ख़्वाबों का टूटा खंडहर।
तुमसे ही मुस्कुराये खुशियों का कोई मंज़र ।।
होने लगी है हलचल मेरे दिल की वादियों में।
साँसों को छू रहा है पागल-सा इक समुंदर ।।
पूनम की चाँदनी में मुलाक़ात का मौसम हो।
आकर के तुम निकालो है हिज़्र का जो खंज़र।।
प्यासी ज़मी में दिल की बरसो न बनके बादल।
ग़म धूप की तपन से धड़कन हुई है बंजर ।।
वीरानियों में महके सूखे हुए जो गुल है।
ख़ामोशियों में चीख़ेे एहसास के बवंडर।।
-श्वेता सिन्हा
वाह !!! बहुत खूब
ReplyDeleteवीरानियों में महके सूखे हुए जो गुल है।
ख़ामोशियों में चीख़ेे एहसास के बवंडर।।
जी,बहुत-बहुत आभार मीना जी,तहे दिल से शुक्रिया सस्नेह।
Deleteअति आभार आपका सर तहेदिल से शुक्रिया आपका।
ReplyDeleteवाह
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