Tuesday 12 June 2018

अच्छा नहीं लगता


अश्कों का आँख से ढलना हमें अच्छा नहीं लगता
तड़पना,तेरा दर्द में जलना हमें अच्छा नहीं लगता

भिगाती है लहर आकर, फिर भी सूखा ये मौसम है
प्यास को रेत का छलना  हमें अच्छा नहीं लगता 

क़फ़स में जां सिसकती है फ़लक सूना बहारों का
दुबककर मौत का पलना हमें अच्छा नहीं लगता

लोग पत्थर समझते हैं तो तुम रब का भरम रखो
तेरा टुकड़ोंं में यूँ गलना हमें अच्छा नहीं लगता

झलक खुशियों की देखी है वक़्त की पहरेदारी में
याद में ज़ख़्म का हलना हमें अच्छा नहीं लगता

कहो दामन बिछा दूँ मैं तेरी राहों के कंकर पर
ज़मीं पर चाँद का चलना हमें अच्छा नहीं लगता

    --श्वेता सिन्हा



21 comments:

  1. कहो दामन बिछा दूँ मैं तेरी राहों के कंकर पर
    ज़मीं पर चाँद का चलना हमें अच्छा नहीं लगता
    SUPERB !!!!
    एक से बढ़कर एक हैं सारे छंद, वाह !!!

    ReplyDelete
  2. आफरीन आफरीन!!
    शानदार अश्आर, हर शेर दुसरे पे भारी।
    उम्दा, बेहतरीन।

    ReplyDelete
  3. शानदार, बेहतरीन
    हर शेर जबरदस्त

    ReplyDelete
  4. बेहद ख़ूबसूरत अंदाज-ए-बयां...
    जमीं पर चाँद का चलना हमें अच्छा नहीं लगता।
    वाह लाज़वाब...👌👌👌👏👏👏

    ReplyDelete
  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 13 जून 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  6. श्वेता,तुम्हारी इतनी अच्छी लेखनी पर टिप्पणी किए बिना आगे बढना मुझे अच्छा नहीं लगता। हा हा हा ...

    ReplyDelete
  7. बहुत ख़ूब ...
    हर शेर कमाल का ... नई बात कहता हुआ ...

    ReplyDelete
  8. आफरीन आफरीन ..श्वेता जी आफरीन ....हर लफ्ज उम्दा हर शेर आफरीन क्या दाद दे मुसाफिर यूं कलाम सुन के चुप रह जाना हमें अच्छा नहीं लगता ....😁😁😁😁👌👌👌👌👌👌👌👌👍👍👍👍👍👍👍


    ReplyDelete
  9. कफ़स में जां सिसकती है, फ़लक सुना बहारों का
    दुबक कर मौत का पलना हमें अच्छा नहीं लगता....
    ................. भावों की इतनी प्रगाढ़ता! उफ़! नि:शब्द!!!

    ReplyDelete
  10. वाह!!वि!!श्वेता ...क्या बात है !!लाजवाब !!

    ReplyDelete
  11. बेहतरीन श्वेता जी निःशब्द कर दिया आपने तो ...
    शुभकामनाएँ ..

    ReplyDelete
  12. तरन्नुम में गुनगुनाने लायक दिलकश अल्फ़ाज़ में सृजित संजीदा एहसासात से सजी नज़्म।
    बधाई एवं शुभकामनायें।
    लिखते रहिये।

    ReplyDelete
  13. वाह ! क्या बात है ! लाजवाब !! आखिरी शेर के तो क्या कहने !! बहुत खूब आदरणीया ।

    ReplyDelete
  14. वाह वाह दीदी जी क्या बात है हर शेर सवा शेर सा है हर शब्द में भाव का सागर है क्या सराहना करूँ इसकी शब्द कम पड़ जायेंगे
    लाजवाब सुंदर उत्क्रष्टता के परे 👌👌
    सादर नमन शुभ दिवस 🙇

    ReplyDelete
  15. ख़ूबसूरत अंदाज-ए-बयां

    ReplyDelete
  16. कहो दामन बिछा दूँ मैं तेरी राहों के कंकर पर
    ज़मीं पर चाँद का चलना हमें अच्छा नहीं लगता
    वाह!!!!
    क्या बात है !!!!!
    शानदार, शेरों से सजी लाजवाब गजल...
    वाहवाह

    ReplyDelete
  17. हो दामन बिछा दूँ मैं तेरी राहों के कंकर पर
    ज़मीं पर चाँद का चलना हमें अच्छा नहीं लगता-
    प्रिय श्वेता मन तो इस रचना के लिए आपको कई दिन से दाद दे रहा है --पर व्यस्तता वश लिख नहीं पाई | मन के कोमलतम एहसासों से भरी सुंदर रचना को पढ़कर निशब्द हूँ | इस बेजोड़ प्रस्तुति ले लिए बस मेरा प्यार |

    ReplyDelete
  18. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 11 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete

  19. क़फ़स में जां सिसकती है फ़लक सूना बहारों का
    दुबककर मौत का पलना हमें अच्छा नहीं लगता

    वाह!! बहुत सुंदर प्रस्तुति श्वेता जी।

    ReplyDelete
  20. कोमल एहसास अनमोल हैं। उनको रचना में ढालना आसान नही। पर तुमने किया प्रिय श्वेता। फिर से कलम थामो और लौटो अपने भाव सदन में। हार्दिक स्नेह और शुभकामनाएं 💘💘🌹🌹

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...