Wednesday, 19 September 2018

समुंदर

मोह के समुंदर में
डूबता उतराता मन
छटपटाती लहर भाव की
वेग से आती
आहृलादित होकर
किलकती,शोर मचाती
बहा ले जाना चाहती है
अपनी मोहक, फेनिल,
लहरों में खींचकर
हक़ीक़त की रेत का
 स्पर्श करते ही लहर
टूटकर बिखर जाती है
चुपचाप लौट जाती है
तट की मर्यादा के मान
के लिए।

★★★

अनन्त तक पसरे 
 समुंदर की
 गहराई नापने की 
 उत्सुकता में
एक बार छू लिया
मचलते लहरों के सीने को
तब से हूँ लापता
विस्तृत समुंदर के
पाश में आबद्ध

★★★

समुंदर समेटकर
रखता है
अपने आगोश में
समूचा आसमान,
सूरज की तीक्ष्णता
सोखकर
चंदा की शीतलता
ओढ़कर
पीकर अनगिन
नदियों की मिठास
गर्भ के खज़ाने
के दर्प से अनभिज्ञ
नहीं बदलता
अपना स्वभाव
निर्निमेष,निष्काम
निःशब्द 
प्रकृति की उकताहट
अपनी लहरों से
उलीचता है अनवरत

★★★★★

-श्वेता सिन्हा

17 comments:

  1. बहुत लाजवाब भाव ...
    समुन्दर का गहरा रहस्य इतनी विविधताएँ और इतना कुछ समेटे बैठा है की तिलिस्मी ग्लोब हो जैसे ...
    तीनों क्षणिकाओं में अलग अंदाज़ से समुंदर की लहरों और उसकी गहराई को बाँधने का प्रयास किया है ... बहुत खूब ...

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  2. बहुत सुंदर क्षणिकाएं श्वेता जी

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  3. मोह का समंदर...
    बहुत ही अच्छी रचनायें
    बेहतरीन

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20.9.18. को चर्चा मंच पर चर्चा - 3100 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  5. समुद्र न जाने कितने रहस्य समेटे हुए हैं ... उन्हीं को खोजने गहराई में उतरती सुंदर क्षणिकाएं

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  6. लाजवाब क्षणिकाएंं समुंदर सी गहराई लिए....
    सूरज की तीक्ष्णता
    सोखकर
    चंदा की शीतलता
    ओढ़कर
    पीकर अनगिन
    नदियों की मिठास
    गर्भ के खज़ाने
    के दर्प से अनभिज्ञ
    नहीं बदलता
    अपना स्वभाव
    वाह!!!

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  7. सुन्दर रचना 👌👌👌 लाजवाब भाव 👏👏👏

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  8. हक़ीक़त की रेत का
    स्पर्श करते ही लहर
    टूटकर बिखर जाती है
    चुपचाप लौट जाती है
    तट की मर्यादा के मान
    के लिए।

    अनुपम क्षणिकायें।। बहुत ही उत्कृष्ट एवं परिष्कृत रचनायें। वाह वाह।

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  9. खूबसूरती से उकेरी कृति ...बेहतरीन जी

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  10. 1 अपनी मर्यादा तोड़ कर कोई किसी के पास पहुँचता है और फिर उसकी मर्यादा का मान रख वापिश खाली हाथ लौट जाता है..ये प्यार का सही मतलब है.

    2 "उस से गले मिल कर ख़ुद को
    तन्हा तन्हा लगता हूँ"
    जॉन साब का शेर याद आया.

    3 "मेरा मुझ में निजत्व है शामिल.." बहुत गहरे भाव.

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  11. बहुत ही सुंदर भावों की गहराई समेटे शानदार क्षणिकांऐं ।

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  12. वाह!भावनाओं के बवंडर को लीलता विचारवान समंदर!

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  13. वा...व्व...श्वेता,विभिन्न भावों को समेटती बहुत ही सुंदर क्षणिकाएँ।

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  14. बहुत ही शानदार लिखा हैं स्वेता जी बधाई हो।
    हर एक पंक्ति हैं एक गहरा एहसासात हैं।
    अनन्त तक पसरे
    समुंदर की
    गहराई नापने की
    उत्सुकता में
    एक बार छू लिया

    दिल को छू गयी ये लाइन्स।

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  15. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  16. मोह के समुन्दर को भावनाओं की लहरों से खूब अभिव्यक्त किया ... बेहद शानदार 👍👌

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  17. वाह आदरणीया दीदी जी अप्रतीम अद्भुत सुंदर रचना
    सागर की गहराई समेटे हुए 👌

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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