रिमझिम-रिमझिम बरसी चाँदनी,
तन-मन,रून-झुन, बजे रागिनी।
पटल नील नभ श्वेत नीलोफर,
किरण जड़ित है शारद हासिनी।
परिमल श्यामल कुंतल बादल,
मध्य विहसे मृदु केसरी चंदा।
रजत तड़ाग से झरते मोती,
छल-छल छलके सुरभित नंदा
जमना तट कंदब वट झुरमुट,
नेह बरसे मधु अंजुरी भर-भर।
बिसराये सुध केशव-राधा,
रचे रास मधुकुंजन गिरधर।
बोझिल नयन नभ जग स्वप्निल,
एकटुक ताके निमग्न हो चातक।
चूमे सरित,तड़ाग,झील नीर लब,
ओस बन अटके पुष्प अधर तक।
रजत थाल जाल दृग मोहित,
दमदम दमके नभ भव करतल
पूरण कामना हिय चित इच्छित,
अमित सुधा रस अवनि आँचल।
#श्वेता सिन्हा
वाह!भावों के दूधिया झाग से झलमल शब्द सरिता का शाश्वत प्रवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर चित्रण किया है शरद पूर्णिमा का
ReplyDeleteआपने श्वेता जी बधाई
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ...
ReplyDeleteबादलों के मध्य से झाँकता चाँद ... और वो। ही शरद का पूर्ण चाँद ... प्रेम, उल्लास, आशाएँ और जीवन अमृत लिए ...
हर शब्द रचना का सौंदर्य लिए है ... बहुत सी सुंदर रचना हमेशा की तरह ...
बहुत ही सुंदर रचना, श्वेता दी👌👌। शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25.10.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3135 में दिया जाएगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
अप्रतिम
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 25 अक्टूबर 2018 को प्रकाशनार्थ 1196 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
अद्भुत अद्भुत अद्भुत। waahhhhh अनुपम श्वेता जी।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteशरद पूर्णिमा की धवल चाँदनी और केशव राधा की मधुर रास लीला...
ReplyDeleteजमना तट कंदब वट झुरमुट,
नेह बरसे मधु अंजुरी भर-भर।
बिसराये सुध केशव-राधा,
रचे रास मधुकुंजन गिरधर।
बहुत ही सुन्दर मनभावन रचना...
वाह!!!
वाह!
ReplyDeleteअप्रतिम!!
ये किसने किरणों की झांझर झंकाई
माधव संग राधा
शरद पूर्णिमा की आकाश गंगा में उतर आई
जिन्हें समेट शब्दों में श्वेता की कविता निखर आई।
अभिराम अवर्चणिय।
बिसराये सुध केशव-राधा,
ReplyDeleteरचे रास मधुकुंजन गिरधर।
बहुत ही सुन्दर मनभावन रचना...
शरद पूर्णिमा का सुंदर चित्रण ।
ReplyDeleteवाह लाजबाव सृजन
ReplyDeleteशरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना जहाँ शरद पूनम का चाँद अपनी पूरी आभा के साथ मौजूद है।मन को शीतलता और आनन्द प्रदान करता अभिनव सृजन प्रिय श्वेता।अच्छा लगा आज बार बार पढ़कर।♥️
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