Tuesday, 23 October 2018

शरद पूर्णिमा

रिमझिम-रिमझिम बरसी चाँदनी,
तन-मन,रून-झुन, बजे रागिनी।
पटल नील नभ श्वेत नीलोफर,
किरण जड़ित है शारद हासिनी।

परिमल श्यामल कुंतल बादल,
मध्य विहसे मृदु केसरी चंदा।
रजत तड़ाग से झरते मोती, 
छल-छल छलके सुरभित नंदा

जमना तट कंदब वट झुरमुट,
नेह बरसे मधु अंजुरी भर-भर।
बिसराये सुध केशव-राधा,
रचे रास मधुकुंजन गिरधर।

बोझिल नयन नभ जग स्वप्निल,
एकटुक ताके निमग्न हो चातक।
चूमे सरित,तड़ाग,झील नीर लब,
ओस बन अटके पुष्प अधर तक।

रजत थाल जाल दृग मोहित,
दमदम दमके नभ भव करतल 
पूरण कामना हिय चित इच्छित, 
अमित सुधा रस अवनि आँचल।

    #श्वेता सिन्हा


16 comments:

  1. वाह!भावों के दूधिया झाग से झलमल शब्द सरिता का शाश्वत प्रवाह!!!

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  2. बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है शरद पूर्णिमा का
    आपने श्वेता जी बधाई

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  3. सुंदर प्रस्तुति

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  4. बहुत ही सुंदर ...
    बादलों के मध्य से झाँकता चाँद ... और वो। ही शरद का पूर्ण चाँद ... प्रेम, उल्लास, आशाएँ और जीवन अमृत लिए ...
    हर शब्द रचना का सौंदर्य लिए है ... बहुत सी सुंदर रचना हमेशा की तरह ...

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  5. बहुत ही सुंदर रचना, श्वेता दी👌👌। शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25.10.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3135 में दिया जाएगा

    हार्दिक धन्यवाद

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  7. अप्रतिम
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति

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  8. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 25 अक्टूबर 2018 को प्रकाशनार्थ 1196 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  9. अद्भुत अद्भुत अद्भुत। waahhhhh अनुपम श्वेता जी।

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  10. शरद पूर्णिमा की धवल चाँदनी और केशव राधा की मधुर रास लीला...
    जमना तट कंदब वट झुरमुट,
    नेह बरसे मधु अंजुरी भर-भर।
    बिसराये सुध केशव-राधा,
    रचे रास मधुकुंजन गिरधर।
    बहुत ही सुन्दर मनभावन रचना...
    वाह!!!

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  11. वाह!
    अप्रतिम!!
    ये किसने किरणों की झांझर झंकाई
    माधव संग राधा
    शरद पूर्णिमा की आकाश गंगा में उतर आई
    जिन्हें समेट शब्दों में श्वेता की कविता निखर आई।
    अभिराम अवर्चणिय।

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  12. बिसराये सुध केशव-राधा,
    रचे रास मधुकुंजन गिरधर।
    बहुत ही सुन्दर मनभावन रचना...

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  13. शरद पूर्णिमा का सुंदर चित्रण ।

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  14. वाह लाजबाव सृजन
    शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

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  15. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना जहाँ शरद पूनम का चाँद अपनी पूरी आभा के साथ मौजूद है।मन को शीतलता और आनन्द प्रदान करता अभिनव सृजन प्रिय श्वेता।अच्छा लगा आज बार बार पढ़कर।♥️

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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