उजालों की खातिर,अंधेरों से गुज़रना होगा
उदास हैं पन्ने,रंग मुस्कुराहटोंं का भरना होगा
यादों से जा टकराते हैंं इस उम्मीद से
पत्थरों के सीने में मीठा कोई झरना होगा
उफ़नते समुंदर के शोर से कब तक डरोगे
चाहिये सच्चे मोती तो लहरों में उतरना होगा
हर सिम्त आईना शहर में लगाया जाये
अक्स-दर-अक्स सच को उभरना होगा
मुखौटों के चलन में एक से हुये चेहरे
बग़ावत में कोई हड़ताल न धरना होगा
सियासी बिसात पर काले-सादे मोहरे हम
वक़्त की चाल पर बे-मौत भी मरना होगा
©श्वेता सिन्हा
बढ़िया!!!
ReplyDeleteWah bhut bdiya
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/11/2018 की बुलेटिन, " सेर पे सवा सेर - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteवाह बहुत ही बेहतरीन रचना
ReplyDeleteवाह!!श्वेता ,बेहतरीन !!!
ReplyDeleteवाह क्या कहने !
ReplyDeleteनसीहत और हौंसला देती अप्रतिम रचना साथ ही आम व्यक्ति की पीडा ....
मुखौटों के चलन में एक से हुये चेहरे
बग़ावत में कोई हड़ताल न धरना होगा
सियासी बिसात पर काले-सादे मोहरे हम
वक़्त की चाल पर बे-मौत भी मरना होगा ।
बहुत सुंदर बहुत सटीक ।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/11/95.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह ....अप्रतिम रचना
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल।
ReplyDeleteसच्चे मोती गहरे उतर कर ही मिलते हैं ...
ReplyDeleteऔर उजाले अँधेरा पार कर के ही मिलते हैं ... बहुत ही लाजवाब शेर हैं सभी श्वेता जी ...
वाह क्या बात है ! बहुत ही सुन्दर !
ReplyDeleteउफ़नते समुंदर के शोर से कब तक डरोगे
ReplyDeleteचाहिये सच्चे मोती तो लहरों में उतरना होगा
वाह क्या बात हैं बहुत ही लाज़वाब।
हर एल शेर एक से बढ़कर एक हैं।बहुत गहरे मायने छुपे है हर शेर में।
पढ़कर बहुत अच्छा लगा।आभार
वाह !!बहुत खूब सखी 👌
ReplyDeleteउफ़नते समुंदर के शोर से कब तक डरोगे
ReplyDeleteचाहिये सच्चे मोती तो लहरों में उतरना होगा
वाह!!!
कमाल की गजल...
बहुत ही लाजवाब
वाह !!! हर एक पंक्ति, हर एक शेर तारीफ का हकदार है। बहुत सुंदर !!!
ReplyDeleteवाह लाजवाब
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteकमाल की गजल ..अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं !
ReplyDeleteअतिसुन्दर.........!!!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुंदर रचना हमेशा की तरह प्रिय श्वेता | पढती तो रहती हूँ और आपके ब्लॉग पर आई भी कई बार पर लिख ना पाई | रचना का स्तर देख निशब्द हो जाती हूँ | ये रचना भी ऐसी ही है जिसके लिए बस मेरा प्यार |
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