Sunday, 25 November 2018

थोड़ा-सा रुमानी हो लें


ज़िंदगी की उदासियों में
चुटकी भर रंग घोलें 
अश्क में मुहब्बत मिला कर
थोड़ा-सा रुमानी हो लें 

दर्द को तवज्ज़ो कितना दें
दामन रो-रो कर भीगो लें
चुभते लम्हों को दफ़न करके
बनावटी चेहरों पे कफ़न धरके
वफ़ा की बाहों में सुकूं से सो लें
थोड़ा-सा रुमानी हो लें 

रेत पर बिखरे मिले ख़्वाब घरौंदें
राज़ समुंदर का लहरें बोले
वक्त की दर्या में ज़ज़्बात बहा के
सफ़हों पे लिखे अरमान मिटा के
मौज में मुहब्बत की बेपरवाह डोले
थोड़ा-सा रुमानी हो लें

किसी इनायत के इंतज़ार में
दर कब तलक खुला रखें
नहीं लकीरों में उन्हें भुला के
ख़्वाबों की तस्वीर सब जला के
उल्फ़त में अपने होश हम खो लें
थोड़ा-सा रुमानी हो लें 

-श्वेता सिन्हा

15 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना श्वेता जी

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    1. सादर आभार अभिलाषा जी।
      आपकी त्वरित प्रतिक्रिया मन प्रसन्न कर गयी।

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। आजकल की भाग दौड़ की ज़िन्दगी में वक्त के कुछ टुकड़े निकालकर कर थोड़ा रूमानी होना तो बनता ही है।

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  3. वाह !!बहुत अच्छी रचना श्वेता जी
    सादर

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  4. ज़िंदगी की उदासियों में
    चुटकी भर रंग घोलें
    अश्क में मुहब्बत मिला कर
    थोड़ा-सा रुमानी हो लें!!!!!!
    प्रिय श्वेता -- रोमानियत की चाह में लिपटे मन की सुंदर रचना | भावों को सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाकर प्रस्तुत करने में आपका कोई जवाब नहीं | रोमानियत का रंग मुखर करती रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई और प्यार |

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  5. बहुत सुंदर रचना

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  6. बहुत सुन्दर ..जितना सुन्दर मूल भाव उतने सुन्दर शब्दों का चयन और गठन

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  7. बहुत ही सुंदर। वाह।

    किसी इनायत के इंतज़ार में
    दर कब तलक खुला रखें
    नहीं लकीरों में उन्हें भुला के
    ख़्वाबों की तस्वीर सब जला के
    उल्फ़त में अपने होश हम खो लें
    थोड़ा-सा रुमानी हो लें।

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  8. ख़्वाबों की तस्वीर सब जला के
    उल्फ़त में अपने होश हम खो लें

    एक और अति सुंदर, भावपूर्ण और सकारात्मक रचना आपकी कलमों से, आपकी लेखनी को नमन।

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  9. बहुत खूब्ब ..
    जब मन रोमानी हो गया तो हर चीज़, हर बात उड़ जायेगी ..... रह जाएगी तो बस अल्हड सी नाज़ुक सी सुहाने प्रेम की बयार जो हर पंक्ति से झलक रही है ... लाजवाब ...

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  10. बहुत खूबसूरत रचना प्रिय श्वेता। रूमानियत हो तो ज़िंदगी में, तो जीने का मजा ही कुछ और है।

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  11. बहुत सुन्दर

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  12. बहुत ही बेहतरीन रचना

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  13. मनोभाव चिर सुख का मन में भरलें
    थोड़ा-सा रुमानी हो लें।
    बहुत सुंदर अल्हड़ मनोभावों की अप्रतिम रचना ।

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  14. रुमानियत भरी बहुत ही लाजवाब ....
    वाह!!!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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