Thursday, 10 October 2019

सृष्टि

प्रसूति-विभाग के
भीतर-बाहर
साधारण-सा दृष्टिगोचर
असाधारण संसार
पीड़ा में कराहते
अनगिनत भावों से
बनते-बिगड़ते,
चेहरों की भीड़
ऊहापोह में बीतता 
प्रत्येक क्षण
तरस-तरह की मशीनों के
गंभीर स्वर से बोझिल
वातावरण में फैली 
स्पिरिट,फिनाइल की गंध
से सुस्त,शिथिल मन,
हरे,नीले परदों को
के उसपार कल्पना करती 
उत्सुकता से ताकती
प्रतीक्षारत आँखें
आते-जाते
नर्स,वार्ड-बॉय,चिकित्सक
अजनबी लोगों के
खुशी-दुख और तटस्थता 
में लिपटे चेहरों के 
परतों में टोहती
जीवन के रहस्यों और
जटिलताओं को,
बर्फ जैसी उजली चादरों
पर लेटी अनमयस्क प्रसूता
अपनी भाव-भंगिमाओं को
सगे-संबंधियों की औपचारिक
भीड़ में बिसराने की कोशिश करती
अपनों की चिंता में स्वयं को
संयत करने का प्रयत्न करती,
प्रसुताओं की
नब्ज टटोलती
आधुनिक उपकरणों से
सुसज्जित 
अस्पताल का कक्ष
मानो प्रकृति की प्रयोगशाला हो
जहाँ बोये गये 
बीजों के प्रस्फुटन के समय
पीड़ा से कराहती
सृजनदात्रियों को
चुना जाता है
सृष्टि के सृजन के लिए,
कुछ पूर्ण,कुछ अपूर्ण
बीजों के अनदेखे भविष्य
के स्वप्न पोषित करती 
जीवन के अनोखे 
रंगों से परिचित करवाती
प्रसूताएँ.....,
प्रसूति-कक्ष
उलझी पहेलियों
अनुत्तरित प्रश्नों के
चक्रव्यूह में घूमती
जीवन और मृत्यु के
विविध स्वरूप से
सृष्टि के विराट रुप का
 साक्षात्कार है।

#श्वेता सिन्हा

हस्ताक्षर पत्रिका के मार्च अंक में प्रकाशित।
https://www.hastaksher.com/rachna.php?id=2293

20 comments:

  1. पुत्र जन्म पर अशेष शुभकामनाएँ
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार आदरणीया यशोदा दीदी जी
      आपने यदि यहाँ श्वेता दीदी को बधाई ना दी होती तो ये शुभ समाचार हम तक तो पहुँचता ही ना।

      आदरणीया श्वेता दीदी हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ और वो जो नन्हा से लला आपकी गोद में खेल रहे हैं उनको हमारा खूब स्नेह और आशीष 👐
      नारायण अपनी कृपा दृष्टि सदा बनाए रखें 🙏

      Delete
    2. प्रिय आँचल,
      मेरी छोटी बहन को माँ बनने का सौभाग्य मिला है।
      तुम्हारी स्नेहिल निश्छल प्रतिक्रिया सदैव मन छू जाती है।
      मेरा असीम स्नेहाशीष तुम्हारे लिये।

      Delete
    3. आंचल श्वेता की बहन को पुत्र हुआ है,और वो दो दिन से उनके साथ वहां(अस्पताल में) रही हैं, तो मनोमस्तिस्क पर वहां के वातावरण का सटीक दृश्य और खुद पर और प्रसुता पर कौन से भाव का को वर्णन किया हैं ।
      उन्हें भांजे के जन्म की बधाई दो ।
      मेरी और से अशेष बधाई और दोनों के स्वास्थ्य की शुभकामनाएं।

      Delete
    4. ओ अच्छा.....क्षमा करिएगा दीदी जी 🙏 मैं भी कितनी बुद्धू हूँ।
      मौसी बनने का जो सुख आपको प्राप्त हुआ है उसके लिए ढेरों बधाई। छोटी दीदी जी और आपके नन्हे से भांजे पर नारायण और नारायणी अपना खूब आशीष लुटाए और स्वास्थ्य बनाए रखें।
      आपके स्नेह आशीष हेतु हार्दिक आभार और आपका भी आभार आदरणीया कुसुम दीदी जी।
      सादर नमन

      Delete
    5. मौसी यानि माँ सी ! 😊 बहरहाल, यशोदा जी के बधाई देने के अंदाज से तो हमें भी यही लगता। बधाई मौसीजी ! ईश्वर माँ बच्चे को स्वस्थ एवं खुशहाल रखे।

      Delete
    6. उफ्फ! आँचल, तुम भी न !

      Delete
  2. बहुत उम्दा सृजन

    ReplyDelete
  3. वाह आदरणीया दीदी जी वाह्ह्ह्ह बहुत सुंदर रचना।
    सच....प्रसूति कक्ष प्रकृति की वो प्रयोगशाला है जहाँ जीवन जन्म लेता है।
    अस्पताल का वो पल जब जीवन जन्म ले रहा होता है बेहद खूबसूरती से आपने प्रस्तुत किया है। कोटिशः नमन आपकी कलम को 🙏।

    ReplyDelete
  4. जीवन मरण की प्रयोगशाला ...
    नारी भोगती है इस प्रयोगशाला के सारी/असत्य को ... जीवन देने की प्रक्रिया ... सृष्टि की प्रक्रिया से कम कहाँ ...
    प्रभावी रचना ...

    ReplyDelete
  5. अति उत्तम सृजन स्वेता।

    ReplyDelete
  6. प्रसूति-कक्ष
    उलझी पहेलियों
    अनुत्तरित प्रश्नों के
    चक्रव्यूह में घूमती
    जीवन और मृत्यु के
    विविध स्वरूप से
    सृष्टि के विराट रुप का
    साक्षात्कार है।

    सृजनकर्ता माँ की बहुत ही सुंदर चित्रण सादर स्नेह एवं भांजे की ढेरो शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  7. बहुत उम्दा रचना। गहन प्रभाव पड़ा है प्रसूति कक्ष वातावरण का। ये अभिव्यक्ति सब के बस की नहीं। स्नेह।

    ReplyDelete
  8. सच में, सृजन के विराट रूप का साक्षात्कार है, यह सृजन! बधासी!!!

    ReplyDelete
  9. सही है जिस कक्ष से जीवन लीला शुरू होती है वह सृष्टि का एक अंश है. इस सृष्टि में कोई आता है तो कोई जाता है.
    सृजनदात्री ही पालनहारी है. आपकी रचना बाकमाल है.
    अस्पताल में बीते पलों से उत्पन्न भावों को उचित शब्द दिए हैं.

    मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है आपका 👉🏼 ख़ुदा से आगे 

    ReplyDelete
  10. मौसी जी को हार्दिक बधाई ....। और साथ ही आपकी बहन को भी ...।माता -पुत्र स्वस्थ होगें । ईश्वर सदा उनपर अपनी कृपा बनाए रखे । और आपके इतने खूबसूरत सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।

    ReplyDelete
  11. प्रसूति कक्ष में प्रसूता और वहाँ के वातावरण का क्या खूबसूरत खाका खींचा है आपने एकदम हूबहू.....
    कमाल का लेखन बहुत ही लाजवाब ...
    बधाई माँ और माँसी को
    हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  12. जीवन और मौत से झूलती जननी के
    उन अहम पलों का समेटती भावपूर्ण रचना श्वेता। सृष्टि में नव जीवन की आहटव के समय जननी के सर जीवन का खतरा मँडरा रहा होता है। अच्छा लिखा तुमने। नवजात शिशु की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। 💐💐💐💐

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...