विश्व की प्राचीन
एवं आधुनिक सभ्यताओं,
पुरातन एवं नवीन धर्मग्रंथों में,
पिछले हज़ारों वर्षों के
इतिहास की किताबों में,
पिरामिड,मीनारों,कब्रों,
पुरातात्त्विक अवशेषों
के साक्ष्यों में,
मानवता और धर्म की
स्थापना के लिए,
कभी वर्चस्व और
अनाधिकार आधिपत्य की
क्षुधा तृप्ति के लिए,
किये गये संहार एवं
युद्धों के विवरण से रंगे
रक्तिम पृष्ठों में
श्लोको, ऋचाओं,
प्रेरणादायक उद्धरणों
उपदेशों के सार में
जहाँ भी शांति
का उल्लेख था
लगा दिया गया
'बुकमार्क'
ताकि शांति की महत्ता की
अमृत सूक्तियाँ
आत्मसात कर सके पीढ़ियाँ।
किंतु,
वीर,पराक्रमी और
शौर्यवान देवतुल्य
विजेताओं का महिमामंडन
हिंसा-प्रतिहिंसा की कहानियाँ
प्रेम और शांति से ज्यादा आप्लावित हुई।
दुनियाभर के महानायकों के
ओजस्वी विचारों में
सम्मोहक कल्पनाओं में
'शांति' का अनुवाद
अपनी भाषा और
अपने शब्दों में परिभाषित
करने का प्रयास,
कर्म में स्थान न देकर
दैवीय और पूजनीय कहकर
यथार्थ जीवन से अदृश्य कर दिया गया।
अलौकिक रूप से विद्यमान
प्रकृति के सार तत्वों की तरह
शांति शब्द
सत्ताधीशों के समृद्ध शब्दकोश में
'हाइलाइटर' की तरह है
जिसका प्रयोग समय-समय पर
बौद्धिक समीकरणों में
उत्प्रेरक की तरह
किया जाता है अब।
©श्वेता सिन्हा
१२ जुलाई २०२०
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 12 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteशान्ति का सन्देश देती सुन्दर रचना।
ReplyDeleteसुंदर रचना। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया श्वेता जी।
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
ReplyDeleteपुनः एक बहुत सुंदर कविता। आपकी ये कविता पढ़ कर जीवन के लिए नयी प्रेरणा मिली। अपने जीवन में शांति को नित्य स्थान देने की प्रेरणा।रोज़ कुछ प्रयत्न करो कि जीवन में,परिवार में और समाज में शांति बनी रहे।
मैं ने आज एक नई कविता अपलोड की- अहिल्या।
कृपया पढें और अपनी प्रतिक्रिया दें।
अपने जिस प्रकार मुझे प्रोत्साहित किया और नए अवसर दिए, इसके लिए बहुत आभार। मैंने पांच लिंकों के आनंद पर सभी रचनाएँ पढीं। बहुत प्रेरणा मिली। धन्यवाद।
प्रिय श्वेता , शांति शब्द अपने आप में बहुत आलौकिक है | पर इसकी जरूरत और महत्त्व ,संसार अपनी महता के अनुसार बदलता रहा | शांति की अमर सूक्तियां शांति प्रेमियों के लिए प्रेरक रही पर युद्धप्रेमियों ने शांति की स्थापना के लिए युद्ध किया या कहें शांति के लिए युद्ध जरूरी समझे गये |शांति अमूर्त है ,अदृश्य है पर इसकी अनिवार्यता से इनकार नहीं किया जा सकता | ये जीवन का वह अमृत तत्व है जिसकी तलाश में हर आमोखास सदैव अशांत रहा है | ये अलग बात है बहुधा इस शब्द का प्रभावशाली लोगों ने अपनी मर्जी से प्रयोग किया | एक बौद्धिक चिंतन जो बहुत प्रभावी है उस पर इतनी गहनता से लिखना बहुत मुश्किल है , पर तुमने बहुत बढिया लिखा | सार्थक सृजन के लिए सस्नेह शुभकामनाएं|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteसोचने को मजबूर करते भाव ...
ReplyDeleteसत्य है कि शांति की व्याख्या समय, दृष्टी और मूल्य के आधार पर होती है और मायने भी अलग ...
लाजवाब अभिव्यक्ति आदरणीय श्वेता दी.
ReplyDeleteपीढ़ी दर पीढ़ी अपनी सुविधा हेतु गढ़े विचार को क्या बखूबी लिखा है आपने..
शांति' का अनुवाद
अपनी भाषा और
अपने शब्दों में परिभाषित
करने का प्रयास,
कर्म में स्थान न देकर
दैवीय और पूजनीय कहकर
यथार्थ जीवन से अदृश्य कर दिया गया।...इतने बड़े विचार को कैसे समेटा निशब्द हूँ .
बेहतरीन और बेहतरीन 👌👌
बहुत खूब।
ReplyDeleteशांति कहाँ कहाँ लिखी गयी ये बात जान कर छोड़ देनी चाहिए क्योंकि जहां कहीं भी शांति लिखी गयी वही इसके अस्तित्व की निशानी इसके मलबे को बहुत गहराई में दफनाने की कोशिश हुई है।
शांति कर्म में कब आये
जबकि आदमी सारे दिन तोड़ फोड़ में लगा रहता है।
बहुत अच्छा लेखन।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteMam u write soul touching poems
ReplyDeleteI also have my you tube channel Alfaz Dil Tak where I post poems related to our day day to activity .please once go throught my poems .link 👇
https://youtu.be/nYkBFlT5Uw8