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Friday, 18 January 2019

मन मेरा


मन मेरा औघड़ मतवाला
पी प्रेम भरा हाला प्याला
मन मगन गीत गाये जोगी
चितचोर मेरा मुरलीवाला

मंदिर , मस्जिद न गुरुद्वारा
गिरिजा ,जग घूम लिया सारा
मन मदिर पिपासा तृप्त हुई
रस प्रीत में भीगा मन आला

मोह आकर्षण उद्दीपन में
पी प्रीत उपहार संजीवन से
मन का मनका श्रृंगारित कर
हिय गूँथ लिया जीवन माला

मद्धम-मद्धम जलने को विवश
मतंग पतंग मंडराये अवश
खो प्रीत सरित आकंठ डूब
न मिट पायी विरहा ज्वाला

चुन पलकों से स्मृति अवशेष
टुकड़े मानस-दर्पण के विशेष
दृग पट में अंकित मीत छवि
वह बिम्ब बना उर का छाला

--श्वेता सिन्हा

"हरिवंश राय बच्चन" पुण्य तिथि(१८जनवरी) पर सादर समर्पित।


मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...