पत्थरों के शहर में रहना है गर
आईना बनने का सपना छोड़ दे
बदल गये है काँटों के मायने अब
साथ फूलों के तू खिलना छोड़ दे
या खुदा दिल बना पत्थर का मिरा
चाहूँ कि भावों में बहना छोड़ दे
एक दिन मरना तो है सबको यहाँ
हर पल तू घुट के मरना छोड़ दे
आस्तीनों में पलते यहाँ नफरत बहुत
प्रेम के ढोंग पे खुद को छलना छोड़ दे
ख्वाब चाँद पाने का सच होता नहीं
जमीं देख तू आसमां पे चलना छोड़ दे
#श्वेता🍁
आईना बनने का सपना छोड़ दे
बदल गये है काँटों के मायने अब
साथ फूलों के तू खिलना छोड़ दे
या खुदा दिल बना पत्थर का मिरा
चाहूँ कि भावों में बहना छोड़ दे
एक दिन मरना तो है सबको यहाँ
हर पल तू घुट के मरना छोड़ दे
आस्तीनों में पलते यहाँ नफरत बहुत
प्रेम के ढोंग पे खुद को छलना छोड़ दे
ख्वाब चाँद पाने का सच होता नहीं
जमीं देख तू आसमां पे चलना छोड़ दे
#श्वेता🍁