खामोश रात के दामन में,
जब झील में पेड़ों के साये,
गहरी नींद में सो जाते हैंं
उदास झील को दर्पण बना
अपना मुखड़ा निहारता,
चाँद मुस्कुराता होगा,
सितारों जड़ी चाँदनी की
झिलमिलाती चुनरी ओढ़कर
डबडबाती झील की आँखों में
मोतियों-सा बिखर जाता होगा
पहर-पहर रात को करवट
बदलती देख कर,
दिल आसमां का,
धड़क जाता होगा
दूर अपने आँगन मेंं बैठा
मेरे ख़्यालों में डूबा "वो"
हथेलियों में रखकर चाँद
आँखों में भरकर मुहब्बत
मेरे ख़्वाब सजाता तो होगा।
#श्वेता सिन्हा
जब झील में पेड़ों के साये,
गहरी नींद में सो जाते हैंं
उदास झील को दर्पण बना
अपना मुखड़ा निहारता,
चाँद मुस्कुराता होगा,
सितारों जड़ी चाँदनी की
झिलमिलाती चुनरी ओढ़कर
डबडबाती झील की आँखों में
मोतियों-सा बिखर जाता होगा
पहर-पहर रात को करवट
बदलती देख कर,
दिल आसमां का,
धड़क जाता होगा
दूर अपने आँगन मेंं बैठा
मेरे ख़्यालों में डूबा "वो"
हथेलियों में रखकर चाँद
आँखों में भरकर मुहब्बत
मेरे ख़्वाब सजाता तो होगा।
#श्वेता सिन्हा
अद्भुत। अकल्पनीय है इस प्रकार का तसव्वुर इस प्रकार का तब्सिरा। आपकी लेखनी चमत्कृत करती है।
ReplyDeleteसितारों जड़ी चाँदनी की
झिलमिलाती चुनरी ओढ़कर
डबडबाती झील की आँखों में
मोतियों सा बिखर जाता होगा...
आपकी लेखनी को नमन।
जी आपकी इतनी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए बहुत शुक्रिया आभार आपका।
Deleteआशा है आप यूँ ही उत्साहवर्धन करते रहेगे।