Thursday 13 July 2017

छू गया नज़र से

चित्र साभार गूगल
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छू गया नज़र से वो मुझको जगमगा गया
बनके हसीन ख्वाब निगाहों में कोई छा गया

देर तलक साँझ की परछाई रही स्याह सी
चाँद देखो आज खुद ही मेरे छत पे आ गया

चुप बहुत उदास रही राह की वीरानियाँ
वो दीप प्रेम के लिए हर मोड़ को सजा गया

खिले लबों का राज़ क्या लोग पूछने लगे
धड़कनों के गीत वो सरगम कोई सुना गया

डरी डरी सी चाँदनी थी बादलों के शोर से
तोड़ कर के चाँद वो दामन में सब लगा गया

      #श्वेता🍁

23 comments:

  1. 😊😊😊😊🙏🙏suprb

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    1. जी,.बहुत शुक्रिया आपका।

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  2. बहुत उम्दा ग़ज़ल

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    1. बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।

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  3. एहसासों को बखूबी उतारा है शब्दों में....

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    1. जी, बहुत आभार आपका संजय जी।

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 14 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका दी।

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  5. मिलन के उपरांत प्रेम के सागर में उठी मौजों का मनोहारी प्रस्तुतीकरण करती मनमोहक रचना। श्वेता जी का कल्पनालोक मखमली एहसासों का आसमान है। बहुत-बहुत बधाई मन को प्रफुल्लित करती , ताजगी देती रचना के लिए बधाई श्वेता जी। यूं ही लिखते रहिए।

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    1. आभार शुक्रिया आपका रवींद्र जी।सही कहा आपने.मेरी कल्पना की दुनिया बहुत अलग है।
      आपके शुभकामनाओं के लिए बहुत आभार।

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    1. बहुत बहुत आभार ऋतु जी।

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  7. बहुत ही सुन्दर ...

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा दी।

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  8. वाह ! क्या बात है ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सर।

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  9. बहुत बहुत आभार कविता जी।

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  10. वाह !लाजबाब रचना प्रिय मन को छू गई
    बहुत सुन्दर
    सादर

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  11. लाजवाब रचना श्वेता ❤️ 😘

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  12. वाह!!श्वेता ,क्या बात है !!बहुत खूब!

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  13. वाह बहुत ही बेहतरीन रचना

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  14. सबसे पहले तो ब्लॉग जगत की
    देदीप्यमान कवयित्री श्वेता सिन्हा जी को उनकी श्रेष्ठता के लिए करबद्ध नमन🙏🏻🙏🏻🙏🏻।
    "मन के पाखी", इस ब्लॉग पर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि मन को पंख लग गये हों। भावों के संतुलित झोंकों से लहराता मन, अचानक ही अलंकारों की आभा से देदीप्यमान हो उठता है।
    इस रचना में भी एक अलग अंदाज़ है...
    देर तलक साँझ की परछाई रही स्याह सी
    चाँद देखो आज खुद ही मेरे छत पे आ गया
    क्या ग़ज़ब का अंदाज़-ए-बयाँ है। वाह।
    आज का यह अंक संभवतः मैं नहीं पढ़ पाता, इस बेमिसाल गीतिकाव्यबद्ध अंक के बारे में अवगत कराने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीया श्वेता जी। नमन।

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  15. बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति.....
    आपकी रचनाएं पढ़कर निशब्द हो जाती हूँ मैं प्रतिक्रिया हेतु हर शब्द बौना सा लगता है...
    इसीलिये बस लाजवाब और वाहवाह...
    ढेर सारी शुभकामनाएं ....

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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