प्यास
नहीं मिटती
बारिश में गाँव के गाँव
बह रहे
तड़प रहे लोग दो बूँद
पानी के लिए।
★★★★★★★★★★★
सूखा
कहाँ शहर भर गया
लबालब
पेट जल रहे है झोपड़ी में
आँत सिकुड़ गये
गीली जीभ फेर कर
पपड़ी होठों की तर कर रहे है।
★★★★★★★★★★★★
सपने
रतजगे करते है
सीले बिस्तर में दुबके
जब भी नींद से पलकें झपकती है
रोटी के निवाले मुँह तक
आने के पहले
अक्सर भोर हो जाती है।
★★★★★★★★★★★★★
बोझ
जीवन के अंतिम पड़ाव में
एहसास होता है
काँधे पर लादकर चलते रहे
ज़माने को बेवजह
मन की गठरी यूँ ही
वजनदार हो गयी।
★★★★★★★★★★★★★★
जीवन
बह रहा वक्त की धार पर अनवरत
भीतर ही भीतर छीलता तटों को
मौन , निर्विकार , अविराम
छोड़कर सारे गाद किनारे पर
अनंत सागर के बाहुपाश में
विलीन होने को।
#श्वेता🍁
बेहतरीन क्षणिकाएँ
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत आभार दी । हृदयतल से।
Deleteवाहहह बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।
Deleteबेहतरीन क्षणिकाएँ खूब शब्दों में ढाला अपने मनोभावों को ......बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका संजय जी।
Deleteभावपूर्ण क्षणिकाएं जिनमें जीवन के बिखरे हुए सूत्र संजोये गए हैं। बेहतरीन सृजन ! काव्य के अधिक से अधिक अनुभाग अब आपकी पहुँच में हैं। बधाई।
ReplyDeleteआपकी सराहना आपकी शुभकामनाएँ सदैव उत्साहवर्धन करते है मेरा।
Deleteरवींद्र जी बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से।
बहुत बहुत आभार दी आपका रचना को मान देने के लिए:)
ReplyDeleteअभिव्यक्ति को नए आयाम दे रही हैं आपकी ये क्षणिकाएँ श्वेता जी । तारीफ के लिए शब्द नहीं हैं । आपकी लेखनी का यह निखार यूँ ही प्रखर से प्रखरतर होता रहे। सस्नेह, सादर....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी,आपकी सराहना आपका स्नेह किसी पुरस्कार से कम नहीं मन आनंदमय है बहुत कृपया अपना नेह बनाये रखे सदैव।
Deleteआपका हृदय से बहुत धन्यवाद।।
वाह ! बहुत ख़ूब ,अच्छा लगा
ReplyDeleteजी, आपका बहुत आभार शुक्रिया ध्रुव जी।
Deleteबहुत अच्छी क्षणिकायें.शब्दों और सम्वेदनाओ का अतुलनीय सम्मिलन.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अपर्णा जी,आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभारी है।
Deleteलाजवाब क्षणिकाएं...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....प्यास ....समसामयिक...
वाह!!!!
बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सुशील जी।
Deleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत आभार अर्चना जी।
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