छेड़ने राग
बूँदों से बहकाने
आया सावन
बूँदों से बहकाने
आया सावन
खिली कलियाँ
खुशबु हवाओं की
बताने लगी
खुशबु हवाओं की
बताने लगी
मेंहदी रचे
महके तन मन
मदमाये है
महके तन मन
मदमाये है
हरी चुड़ियाँ
खनकी कलाई में
पी मन भाए
खनकी कलाई में
पी मन भाए
धानी चुनरी
सरकी रे सर से
कैसे सँभालूँ
सरकी रे सर से
कैसे सँभालूँ
झूला लगाओ
पीपल की डार पे
सखियों आओ
पीपल की डार पे
सखियों आओ
लजीली आँखें
झुक झुक जाये रे
धड़के जिया
झुक झुक जाये रे
धड़के जिया
मौन अधर
मंद मुस्काये सुन
तेरी बतिया
मंद मुस्काये सुन
तेरी बतिया
छुपके ताके
पलकों की ओट से
तोरी अँखियाँ
पलकों की ओट से
तोरी अँखियाँ
संग भीग ले
रिम झिम सावन
बीत न जाए
रिम झिम सावन
बीत न जाए
बहुत खूब हायकू
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteबहुत सुन्दर मनभावन सावन-हाइकु।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका रवींद्र जी।
Deleteवाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका संजय जी:)
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 30 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय।
Deleteबहुत सुन्दर ! श्वेता जी
ReplyDeleteआपका बहुत आभार ध्रुव जी।
Deleteसुंदर सावन के सुंदर हायकू !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteबहुत ही सुन्दर वर्षा ऋतु वर्णन...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।
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