Thursday, 13 April 2017

मेरी पहचान बाकी है

अभी उम्मीद  ज़िदा है   अभी  अरमान बाकी है
ख्वाहिश भी नहीं मरती जब तक जान बाकी है

पिघलता दिल नहीं अब तो पत्थर हो गया सीना
इंसानियत मर रही है  नाम का  इंसान बाकी है

कही पर ख्वाब बिकते है कही ज़ज़्बात के सौदे
तो बोलो क्या पसंद तुमको बहुत सामान बाकी है

कहने में क्या जाता है बड़ी बातें ऊसूलों की
मुताबिक खुद के मिल जाए वही ईमान बाकी है

आईना रोज़ कहता है कि तुम बिल्कुल नहीं बदले
बिना शीशे के भी खुद से मेरी  पहचान बाकी है

            #श्वेता🍁

उदित सूर्य

नीले स्वच्छ नभ पर
बादलों से धुँध के बीच
केसरी रंगों ने
पूरब के क्षितिज को धो डाला
आहिस्ता आहिस्ता
आकाश के सुंदर माथ पर
अलसाता मुस्काता
लाल मुखड़ा  लिये
सूर्य उदित हुआ।
सोयी धरा के पलकों को अपनी
सुनहरी किरणों से चूमकर जगाया
खामोश पड़े कण कण में
स्फूर्ति का संचरण हुआ
किरणों के स्पर्श से ही
सोयी धरा में जीवन का
मौन स्पंदन हुआ
उदिय सूर्य जीवन में
प्राणवायु सदृश है
जिसके बिना जगत नीरवता
में डूबा सुसुप्त,उदास ,स्पंदनविहीन
अनंत तक फैलीअंधेरी गुफा मात्र है।

उदित सूर्य धरा का संजीवन है
सूर्य से ही धरती पर जीवन है।

      #श्वेता🍁

Wednesday, 12 April 2017

रात

मेरे बड़े से झरोखे के सामने
दूर तक फैली नीरवता
नन्हें नन्हें दीयों सी झिलमिलती
अंधेरों में लिपटे इमारतों के
दरारों से छनकर आती रोशनी
दिन भर के मशक्कत से थके लोग
अब रैन बसेरे में ख्वाबों में
चलने की तैयारी में होगे
एक अलग दुनिया दिखती है
दिनभर का शोर अब थम गया है
दूर से सड़क के एक ओर
कतारों में सजी पीली रोशनी
राहें अब सुबह तक इंतज़ार करेगी
फिर से राहगीरों को उनकी
मंज़िल तक पहुँचाने के लिए
और नज़र आता है
दूर तक फैला गहन शून्य में डूबा
कुछ कुछ स्याह हुआ आसमां
उस पर चुपचाप मुस्कुराते सितारे
जो लगभग नियत जगह ही उगते है
स्थिर  अचल अनवरत टिमटिमाते
और एक आधा पूरा चाँद
जिसकी रोशनी म़े कभी पीपल के पत्ते
खूब झिलमिलाते है तो कभी
नीम अंधेरे में डूब जाते है
एक अलग ही संसार होता है रात का
खामोश अंधेरों में धड़कती है
ख्वाबों में खोयी बेखबर ज़िदगी
पहरेदारी करता उँघता चाँद
और भोर का बेसब्री से इंतज़ार करती
आहिस्ता आहिस्ता सरकती रात।

       #श्वेता🍁


प्रेम की धारा

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे
दिल ऐसा इकतारा है।

झूमे गाये प्यार की सरगम
ये गीत बहुत ही प्यारा है।

मन हीरा बेमोल बिक गया
तन का मोल ही सारा है।

अवनी अंबर सौन्दर्य भरा है
नयनों में प्रेम की धारा है।

कतरा कतरा दरिया पीकर भी
सागर प्यास का मारा है।

पास की सुरभि दूर का गीत
सुंगधित मन मतवारा है।

तड़प तड़प अश्क बहकर कहे
नमक इश्क का खारा है।

बेबस दिल की बस एक कहानी
ये इश्क बड़ा बेचारा है।

कल कल अंतर्मन में प्रवाहित
बहती मदिर रसधारा है।

जब तक जिस्म से उलझी है साँसें
दिल में नाम तुम्हारा है।

               #श्वेता🍁

(कुमार विश्वास की एक कविता की दो पंक्तियों से
प्ररित रचना)



Tuesday, 11 April 2017

पूनम की रात

चाँदनी मृग छौने सी भटक रही
उलझी लता वेणु में अटक रही

पूनम के रात का उज्जवल रुप
दूध में केसरी आभा छिटक रही

ओढ़ शशि धवल पुंजों की दुशाला
निशि के नील भाल पर लटक रही

तट,तड़ाग,सरित,सरोवर के जल में
चाँदनी सुधा बूँदो में है टपक रही

अधखुली पलकों को चूम समाये
ख्वाब में चाँदी वरक लगाए लिपट रही

            #श्वेता🍁

ठाठ पत्तों के उजड़ रहे है

टूटकर फूल शाखों से झड़ रहे है
ठाठ जर्द पत्तों के उजड़ रहे है

भटके परिंदे छाँव की तलाश में
नीड़ो के सीवन अब उधड़ रहे है

अंजुरी में कितनी जमा हो जिंदगी
बूँद बूँद पल हर पल फिसल रहे है

ख्वाहिशो की भीड़ से परेशान दिल
और हसरत आपस में लड़ रहे है

राह में बिछे फूल़ो का नज़ारा है
फिर आँख में काँटे कैसे गड़ रहे है

       #श्वेता🍁

Monday, 10 April 2017

उम्मीद का दीया

जेहन की पगडंडियों पर चलकर
साँझ की थकी किरणों को चुनती
बुझते आसमां के फीके रंग समेट
दिल के दरवाजे पे दस्तक देती है
तन्हाई का हाथ थामें खड़ी मिलती
खामोश नम यादें आँखों में,
टूटते मोतियों को स्याह शाम के
बहाने से चेहरे पर दुपट्टा बिछाकर
करीने से हरएक मोती पोंछ लेती
फिर बुझते शाम के गलियारे में
रौशन टिमटिमाते यादों के हर लम्हे
सहेजकर ,समेटकर ,तहकर
वापस रख देती है सँभालकर फिर से,
चिराग दिल में उम्मीद का तेल भर देती
ताकि रौशन रहे दर तेरी यादों का
इस आस में कि कभी इस गली
भूले से आ जाए वक्त चलकर
दोहराने हर बात शबनमी शामों की
और वापस न लौट जाए कहीं
दर पे अँधेरा देखकर।
 
     #श्वेता🍁

पाँच लिंकों का आनन्द: 633...बात बनाने की रैसेपी या कहिये नुस्खा

पाँच लिंकों का आनन्द: 633...बात बनाने की रैसेपी या कहिये नुस्खा

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...