Thursday, 13 April 2017

मेरी पहचान बाकी है

अभी उम्मीद  ज़िदा है   अभी  अरमान बाकी है
ख्वाहिश भी नहीं मरती जब तक जान बाकी है

पिघलता दिल नहीं अब तो पत्थर हो गया सीना
इंसानियत मर रही है  नाम का  इंसान बाकी है

कही पर ख्वाब बिकते है कही ज़ज़्बात के सौदे
तो बोलो क्या पसंद तुमको बहुत सामान बाकी है

कहने में क्या जाता है बड़ी बातें ऊसूलों की
मुताबिक खुद के मिल जाए वही ईमान बाकी है

आईना रोज़ कहता है कि तुम बिल्कुल नहीं बदले
बिना शीशे के भी खुद से मेरी  पहचान बाकी है

            #श्वेता🍁

19 comments:

  1. बहुत खूब बहुत खूब। बेमिसाल ग़ज़ल।

    कहीं पर ख़्वाब बिकते हैं, कहीं ज़ज़्बात के सौदे।
    तो बोलो क्या पसंद तुमको, बहुत सामान बाकी है।।

    एक से एक बढ़कर ख़्याल। आपकी लेखनी को नमन श्वेता जी।

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    1. बहुत बहुत स्वागत है अमित जी आपका आपने मेरी रचनाओं को पढ़ा यहाँ आकर कृतार्थ किया।
      बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका हृदय से अमित जी।

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  2. श्वेता जी आपकी लिखी ग़ज़ल को कविता मंच ( http://kavita-manch.blogspot.in ) पर साँझा किया गया है फुर्सत मिले तो ज़रूर आये

    संजय भास्कर
    शब्दों की मुस्कराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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    1. बहुत बहुत आभार संजय जी आपने मान दिया मेरी रचना को।माफी चाहते है बहुत आपसे समय से उपस्थित न हो सके।

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 19 मई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आभार आपका यशोदा दी बहुत सारा।

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति ! श्वेता

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आभार ध्रुव।

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    1. आभार आपका बहुत शुक्रिया लोकेश जी।

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  6. बहुत ही सुंदर सार्थक गजल...।

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    1. बहुत शुक्रिया आपका आभार सुधा जी।

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  7. "कही पर ख्वाब बिकते है कही ज़ज़्बात के सौदे
    तो बोलो क्या पसंद तुमको बहुत सामान बाकी है"..

    जीवन में समाई विसंगतियों का बखूबी चित्रण जो सीधा पाठक के मन-मस्तिष्क पर असर करते हुए चित्रावली तैयार करता है। बधाई श्वेता जी।

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया रवींद्र जी रचना का मर्म समझने के लिए । हृदय से धन्यवाद है आपका बहुत सारा।

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  8. "कही पर ख्वाब बिकते है कही ज़ज़्बात के सौदे
    तो बोलो क्या पसंद तुमको बहुत सामान बाकी है"..

    जीवन में समाई विसंगतियों का बखूबी चित्रण जो सीधा पाठक के मन-मस्तिष्क पर असर करते हुए चित्रावली तैयार करता है। बधाई श्वेता जी।

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  9. Replies
    1. बहुत बहुत आभार सुशील जी।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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