Saturday 15 April 2017

खुशबू


साँसों से नहीं जाती है जज़्बात की खुशबू
यादों में घुल गयी है मुलाकात की खुशबू


चुपके से पलकें चूम गयी ख्वाब चाँदनी
तनमन में बस गयी है कल रात की खुशबू

नाराज़ हुआ सूरज जलने लगी धरा भी
बादल छुपाये बैठा है बरसात की खुशबू

कल शाम ही छुआ तुमने आँखों से मुझे
होठों में रच गयी तेरे सौगात की खुशबू

तन्हाई के आँगन में पहन के झाँझरे
जेहन में गुनगुनाएँ तेरे बात की खुशबू

        #श्वेता🍁

4 comments:

  1. सुन्दर व सार्थक रचना । आभार, श्वेता जी मेरी चंद पंक्तियाँ गौर कीजिएगा

    मिला आप से विश्वास की ख़ुश्बू ,
    काली स्याह सी रात की ख़ुश्बू
    दिन के उजाले आपकी ख़ुश्बू
    दिनों-रात जज़्बात की ख़ुश्बू
    प्रतिदिन एक ख़ुश्बू सी बीते
    जीवन बना अनमोल सी ख़ुश्बू।

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    1. वाह्ह्..आपने तो मेरी रचना की प्रतिक्रिया स्वरूप इतनी सुंदर पंक्तियाँ रच डाली बहुत सुंदर ध्रुव जी👌👌👌

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  2. साँसों से नहीं जाती है जज़्बात की खुशबू
    यादों में घुल गयी है मुलाकात की खुशबू

    superb!!!!!!!!!

    infinite marks out of 100.......

    m speechless of this creation.....hats off...

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    1. ओहह आपको इतनी पसंद आयी आपके दिए नं मेरी रचना का पुरस्कार है।बहुत बहुत शुक्रिया आभार आपका संजय जी।तहे दिल से स्वागत है मेरी पोस्ट पर।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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