भोर की किरणों में बिखर गये तारे
जाने किस झील में उतर गये तारे
रातभर मेरे दामन में चमकते रहे
आँख लगी कहीं निकल गये तारे
रात पहाड़ों पर जो फूल खिले थे
उन्हें ढूँढने वादियों में उतर गये तारे
तन्हाईयों में बातें करते रहे बेआवाज़
सहमकर सुबह शोर से गुज़र गये तारे
चमक रहे है फूलों पर शबनमी कतरे
खुशबू बनकर गुलों में ठहर गये तारे
#श्वेता🍁
जाने किस झील में उतर गये तारे
रातभर मेरे दामन में चमकते रहे
आँख लगी कहीं निकल गये तारे
रात पहाड़ों पर जो फूल खिले थे
उन्हें ढूँढने वादियों में उतर गये तारे
तन्हाईयों में बातें करते रहे बेआवाज़
सहमकर सुबह शोर से गुज़र गये तारे
चमक रहे है फूलों पर शबनमी कतरे
खुशबू बनकर गुलों में ठहर गये तारे
#श्वेता🍁