Friday 12 January 2018

तेरे नेह में

तुमसे मिलकर कौन सी बातें करनी थी मैं भूल गयी
शब्द चाँदनी बनके झर गये हृदय मालिनी फूल गयी

मोहनी फेरी कौन सी तुमने डोर न जाने कैसा बाँधा
तेरे सम्मोहन के मोह में सुध-बुध जग भी भूल गयी

मन उलझे मन सागर में लहरों ने लाँघें तटबंधों को
सारी उमर का जप-तप नियम पल-दो-पल में भूल गयी

बूँदे बरसी अमृत घुलकर संगीत शिला से फूट पड़े
कल-कल बहती रसधारा में रिसते घावों को भूल गयी

तुम साथ रहो तेरा साथ रहे बस इतना ही चाहूँ तुमसे
मन मंदिर के तुम ईश मेरे तेरे नेह में ईश को भूल गयी

श्वेता🍁

26 comments:

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    1. जी,अति आभार आपका विश्वमोहन जी।तहेदिल से शुक्रिया।

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  2. समर्पण और निश्चछलता का अद्भुत‎ संगम . बहुत खूब श्वेता जी .

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका मीना जी।सुंदर प्रतिक्रिया आपकी भा गयी।

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
    बेहतरीन रचना

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    1. बहुत-बहुत आभार आपका लोकेश जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  4. बहुत ही अच्छी कविता।

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    1. जी आभार आपका विजय जी।

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  5. सस्नेह सुप्रभात।
    मीरा सा समर्पण लिये आलोकिक रचना
    मन मे माधुर्य और सुंदर अनुभूति देती अप्रतिम भावनाऐं।

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  6. बूँदे बरसी अमृत घुलकर संगीत शिला से फूट पड़े
    कल-कल बहती रसधारा में रिसते घावों को भूल गयी...
    इतनी अलंकारी और सुंदर पंक्तियों से आपने कविता को अत्यंत ही रोचक रूप दे डाला है। मेरी कामना है कि आपकी कलम और लेखनी नित नए आयाम स्थापित करे। बधाई आदरणीय श्वेता जी।

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  7. वाह!!श्वेता ,अनुपम कृति ।

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  8. वाह अप्रतिम प्रिय श्वेता ....👌👌👌👌👌💕💕💕
    एक एक पंक्ति नेह रस से ओत प्रोत है
    पावन सा नेह बरसता है
    तन मन क्या अंतर तक भीगा
    ऐसा माधुर्य सरसता है !

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  9. आभार सखी....
    कभी आइए न रुड़की
    सादर

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  10. मैं कविता में ऐसा डूबी
    अपनी सुध-बुध ही भूल गयी

    बहुत सुंदर शब्दों का चयन कर अप्रतिम प्रेम लिख दिया।
    वाह!

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  11. माधुर्य से परिपूर्ण रचना में अलौकिक प्रेम झलक पड़ा है। रचना में भावों का प्रवाह फूट पड़ा है। सुंदर,सरस,सुगढ़ एवं मनमोहक रचना।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं। लिखते रहिये।

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  12. बहुत खूवसुरत जी

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  13. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 14 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  14. प्रेम से परिपूर्ण बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, स्वेता। बेहतरीन रचना।

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  15. प्रेम का खूबसूरत अहसास
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
    सादर

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  16. बहुत ही सुन्दर .......
    कल कल बहती रस धारा में रिसते घावों को भूल गयी
    प्रेम रस से ओतप्रोत मनभावन रचना
    वाह!!!

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  17. सुंदर अभिव्यक्ति

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  18. बहुत ही सुन्दर रचना...मन के सारे भाव लिख दिये

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  19. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/01/52.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  20. वाह ! क्या बात है ! लाजवाब !! शब्दों का खूबसूरत श्रंगार ! बहुत सुंदर आदरणीया ।

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  21. जिसने प्रेम को ईश मान लिया उसने जग पा लिया ...
    बहुत सुन्दर एहसास लिए प्रस्तुति ...

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  22. बहुत खूब .....
    आकर्षित करते शब्द .....!!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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