Tuesday 21 February 2017
ढूँढ़ने चले हैं
लिखकर तहरीरें खत में तेरा पता ढूँढ़ने चले है
कभी तो तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है
सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया
तुम नही हो ज़िदगी जिसमें वास्ता ढूँढ़ने चले है
चीखती है खामोशियाँ तन्हाई में तेरी सदाएँ है
जाने कब खत्म हो दर्द की इंतिहा ढूँढ़ने चले है
बेरूखी की साज़ पर प्रेम धुन बज नही सकती
चोट खाकर इश्क का फलसफा ढूँढ़ने चले है
#श्वेता🍁
कभी तो तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है
सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया
तुम नही हो ज़िदगी जिसमें वास्ता ढूँढ़ने चले है
चीखती है खामोशियाँ तन्हाई में तेरी सदाएँ है
जाने कब खत्म हो दर्द की इंतिहा ढूँढ़ने चले है
बेरूखी की साज़ पर प्रेम धुन बज नही सकती
चोट खाकर इश्क का फलसफा ढूँढ़ने चले है
#श्वेता🍁
पलाश
पिघल रही सर्दियाँ
झरते वृक्षों के पात
निर्जन वन के दामन में
खिलने लगे पलाश
सुंदरता बिखरी चहुँओर
चटख रंग उतरे घर आँगन
उमंग की चली फागुनी बयार
लदे वृक्ष भरे फूल पलाश
सिंदूरी रंग साँझ के रंग
मल गये नरम कपोल
तन ओढ़े रेशमी चुनर
केसरी फूल पलाश
आमों की डाली पे कूके
कोयलिया विरहा राग
अकुलाहट भरे पीर उठे
मन में बिखरने लगे पलाश
गंधहीन पुष्पों की बहारें
मृत अनुभूति के वन में
दावानल सा भ्रमित होता
मन बन गया फूल पलाश
#श्वेता🍁
झरते वृक्षों के पात
निर्जन वन के दामन में
खिलने लगे पलाश
सुंदरता बिखरी चहुँओर
चटख रंग उतरे घर आँगन
उमंग की चली फागुनी बयार
लदे वृक्ष भरे फूल पलाश
सिंदूरी रंग साँझ के रंग
मल गये नरम कपोल
तन ओढ़े रेशमी चुनर
केसरी फूल पलाश
आमों की डाली पे कूके
कोयलिया विरहा राग
अकुलाहट भरे पीर उठे
मन में बिखरने लगे पलाश
गंधहीन पुष्पों की बहारें
मृत अनुभूति के वन में
दावानल सा भ्रमित होता
मन बन गया फूल पलाश
#श्वेता🍁
Monday 20 February 2017
वजह
उदास रात के दामन मेंं
बिसूरती चाँदनी
खामोश मंजर पसरा है
मातमी सन्नाटा
ठंडी छत पर सर्द किरणें
बर्फीला एहसास
कुहासे जैसे घने बादलों का
काफ़िला कोई
नम नीरवता पाँव पसारती
पल-पल गहराती
पत्तियों की ओट में मद्धिम
फीका सा चाँद
अपने अस्तित्व के लिए लड़ता
चुपचाप अटल सा
कंपकपाते बर्फ़ के मानिंंद
सूनी हथेलियों को
अपने तन के इर्द-गिर्द लपेटे
ख़ुद से बेखबर
मौसम की बेरूख़ी को सहते
यादों को सीने से लगाये
अपनी ख़ता पूछती है नम पलकोंं से
बेवज़ह जो मिली
उस सज़ा की वजह पूछती है
एक रूह तड़पती-सी
यादोंं को मिटाने का रास्ता पूछती है।
#श्वेता
Saturday 18 February 2017
ऐ दिल,चल तू संग मेरे
ऐ दिल,तू चल संग मेरे
मेरे ख्यालों के हसीन
दुनिया में...
जहाँ हूँ मैं और तुम हो
उस हसीन दुनिया मे
जाड़ों की नरम धूप सी
ओढ़कर तेरी यादों को
अलसाये तन बदन और
करवटों में शाम हो जाये
ऐ दिल,तू चल....
बर्फ की पहाडों पर खड़े
नाम तेरा जोर पुकारे हम
खामोशियों में गूँजें एहसास
लौटकर मुझसे लिपट जाये
ऐ दिल , तू चल....
चाँदनी की ओढ़नी मुखड़े पे डाले
जुगनुओं के पायल पहने नाचे
संदली महक तेरी याद की
सारी रात बरसे हम भींग जाये
ऐ दिल, तू चल संग मेरे
मेरे ख्यालों के हसीन
दुनिया मे....
जहाँ मैं हूं और तुम हो
उस हसीन दुनिया में
#श्वेता🍁
मेरे ख्यालों के हसीन
दुनिया में...
जहाँ हूँ मैं और तुम हो
उस हसीन दुनिया मे
जाड़ों की नरम धूप सी
ओढ़कर तेरी यादों को
अलसाये तन बदन और
करवटों में शाम हो जाये
ऐ दिल,तू चल....
बर्फ की पहाडों पर खड़े
नाम तेरा जोर पुकारे हम
खामोशियों में गूँजें एहसास
लौटकर मुझसे लिपट जाये
ऐ दिल , तू चल....
चाँदनी की ओढ़नी मुखड़े पे डाले
जुगनुओं के पायल पहने नाचे
संदली महक तेरी याद की
सारी रात बरसे हम भींग जाये
ऐ दिल, तू चल संग मेरे
मेरे ख्यालों के हसीन
दुनिया मे....
जहाँ मैं हूं और तुम हो
उस हसीन दुनिया में
#श्वेता🍁
Friday 17 February 2017
तुम्हारी सदा
तन्हाई में बिखरी खुशबू ए हिना तेरी है
वीरान खामोशियों से आती सदा तेरी है
टपक टपक कर भरता गया दामन मेरा
फिर भी खुशियों की माँग रहे दुआ तेरी है
अच्छा बहाना बनाया हमसे दूर जाने का
टूट गये हम यूँ ही या काँच सी वफा तेरी है
सुकून बेचकर ग़म खरीद लाये है तुमसे
लगाया था बाज़ार इश्क का ख़ता तेरी है
वक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते
मौसम पतझड़ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है
#श्वेता🍁
वीरान खामोशियों से आती सदा तेरी है
टपक टपक कर भरता गया दामन मेरा
फिर भी खुशियों की माँग रहे दुआ तेरी है
अच्छा बहाना बनाया हमसे दूर जाने का
टूट गये हम यूँ ही या काँच सी वफा तेरी है
सुकून बेचकर ग़म खरीद लाये है तुमसे
लगाया था बाज़ार इश्क का ख़ता तेरी है
वक्त की शाख से टूट रहे है यादों के पत्ते
मौसम पतझड़ नहीं बेरूखी की हवा तेरी है
#श्वेता🍁
वादा
तुमको ही चाहा है दिल ने
बस तुमको ही चाहेगे
तेरे दर्द में हमदम मेरे
हमसाया बन जायेगे
अपने माला के मनके में
तेरा ही नाम सजायेगे
पलकों के सारे ख्वाब सुहाने
तुमसे मिलने आयेगे
कभी रूठ भी जाओ तो हम
प्यार से तुमको मनाएगे
तेरी एक मुस्कान को हम तो
काँटों पे चल जायेगे
ये वादा है तुमसे मेरे साजन
तुम गर हमको भूल भी जाओ
हम न तुझे भुलाएगे
जीवन के अंतिम क्षण तक
सिर्फ और सिर्फ
तेरे लिए जीये जायेगे
#श्वेता🍁
बस तुमको ही चाहेगे
तेरे दर्द में हमदम मेरे
हमसाया बन जायेगे
अपने माला के मनके में
तेरा ही नाम सजायेगे
पलकों के सारे ख्वाब सुहाने
तुमसे मिलने आयेगे
कभी रूठ भी जाओ तो हम
प्यार से तुमको मनाएगे
तेरी एक मुस्कान को हम तो
काँटों पे चल जायेगे
ये वादा है तुमसे मेरे साजन
तुम गर हमको भूल भी जाओ
हम न तुझे भुलाएगे
जीवन के अंतिम क्षण तक
सिर्फ और सिर्फ
तेरे लिए जीये जायेगे
#श्वेता🍁
कर्मपथ
खो गया चंदा बुझ गया दीपक
जाग उठा अंबर का आँचल
टूटा मौन खिलखिलायी धरा
पौधै सँवरे बाग है निखरा
धुल गये फूलों के रूख़सार
उठाकर उदास रात का परदा
दिन निकला मुस्काता सा
भँवरे गूँजें कलियाँ झूमी
अमराई में कोयल कूके
पात पात लहराया वन में
भोर हुई अब आँखें खोलो
सूरज के संग ताल मिलाओ
कल कल गाती नदिया जैसी
कर्म पथ पर बढ़ते जाओ
अपने मन के आस किरण को
भर दो बस्ती बाड़ी जन जन में
#श्वेता🍁
जाग उठा अंबर का आँचल
टूटा मौन खिलखिलायी धरा
पौधै सँवरे बाग है निखरा
धुल गये फूलों के रूख़सार
उठाकर उदास रात का परदा
दिन निकला मुस्काता सा
भँवरे गूँजें कलियाँ झूमी
अमराई में कोयल कूके
पात पात लहराया वन में
भोर हुई अब आँखें खोलो
सूरज के संग ताल मिलाओ
कल कल गाती नदिया जैसी
कर्म पथ पर बढ़ते जाओ
अपने मन के आस किरण को
भर दो बस्ती बाड़ी जन जन में
#श्वेता🍁
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मैं नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता मेरा हृदयपरिवर...