अनमोल रतन दमके
भारत के भाल पर
एक मूरत सादगी की
भारी है हर जाल पर
धन्य है मातृभूमि गर्वित
पाकर ऐसे लाल को
लाल बहादुर कहते है
भारत माँ के लाल को
धन्य कोख माँ राम दुलारी
पिता शारदा को नमन करे
गज़ब की शख्सियत था
विनम्रता से शत्रु दमन करे
पढ़ने की लगन में जिसने
गंगा की धार को पार किया
अभाव को बनने न दी बाधा
हर स्वप्न अपना साकार किया
कर्तव्य निष्ठ थे देश के लिए
कर दिया समर्पित स्वयं को
गाँधी जी से के चमक के आगे
न भूलो देशभक्त के जन्म को
सन् बयालीस के भारत छोड़ो में
'मरो नहीं मारो 'का नारा दिया
अपने हक के लिए लड़ने का
ओज तेज भरा विचारधारा दिया
निडर साहासी अगुआ थे वो
देश को गौरव और शान दिया
भारत पर चढ़ा जब पाक तब
मुँहतोड़ उत्तर देकर मान दिया
देश के पहरेदारों में जोश भर
सीमा पर विजयी ध्वज लहराया
जय जवान जय किसान नारा
प्राणशक्ति बना जन में महकाया
शांति दूत का सच्चा मूरत वो
मिट गया शांति के नाम पर
ताशकंद बना काल का घर
सोया लाल चिरनिद्रा धाम पर
गर्व है हमें शास्त्री जैसे लाल पर
कद के छोटे हृदय विशाल पर
नहीं था आडंबर का कोई ढ़ोग
नमन बहादुर भारत के लाल को