धन्य धरा,माँ नमन तुम्हें करती है
धन्य कोख,सैनिक जो जन्म करती है।
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शपथ लेते,
वर्दी देह पर धरते ही
साधारण से
असाधारण हो जाते
बेटा,भाई,दोस्त या
पति से पहले,
माटी के रंग में रंगकर
रक्त संबंध,रिश्ते सारे
एक ही नाम से
पहचाने जाते।
महत्वाकांक्षी स्वप्न
हुक्मरानों के,
सियासी दाँव-पेंचों से तटस्थ,
सरहदों के बीच खड़े अडिग,
सिपाही,नायक,हवलदार,
सूबेदार,लैफ्टिनेंट,मेजर,
कर्नल नाम वाले
अनेक शब्दों के लिए
एक शब्द...।
मूर्खतापूर्ण जुमलेबाज़ी
अनदेखा कर,
निर्मम उपहासों का
उपहार स्वीकारते,
जाति-धर्म के कुटिल चेहरों को
नहीं पहचानते,
विषम परिस्थितियों में भी
कटिबद्ध,बेपरवाह,
बनते सुरक्षा कवच सहर्ष
लड़ते,भिड़ते,गिरते,
चोट खाते,फिर उठते,
काल के सम्मुख
सीना ताने निर्भीक
सैनिक...।
#श्वेता सिन्हा
२६/१/२०२१