आपके एहसास ने जबसे मुझे छुआ है
सूरज चंदन भीना,चंदनिया महुआ है
मन के बीज से फूटने लगा है इश्क़
मौसम बौराया,गाती हवायें फगुआ है
वो छोड़कर जबसे गये हमको तन्हा
बेचैन, छटपटाती पगलाई पछुआ है
लगा श्वेत,कभी धानी,कभी सुर्ख़,
रंग तेरी चाहत का मगर गेरुआ है
क्या-क्या सुनाऊँ मैं रो दीजिएगा
तड़पकर भी दिल से निकलती दुआ है
जीवन पहेली का हल जब निकाला
ग़म रेज़गारी, खुशी ख़ाली बटुआ है
-श्वेता सिन्हा