जीवन के निरंतर
प्रवाह में
इच्छाएँ हमारी
पानी के बुलबुले से
कम तो नहीं,
पनपती है
टिक कर कुछ पल
दूसरे क्षण फूट जाती है
कभी तैरती है
बहाव के सहारे
कुछ देर सतह पर,
एकदम हल्की नाजुक
हर बार मिलकर जल में
फिर से उग आती है
अपने मुताबिक,
सूरज के
तेज़ किरणों को
सहकर कभी दिखाती है
इंद्रधनुष से अनगित रंग
ख्वाहिशों का बुलबुला
जीवन सरिता के
प्रवाह का द्योतक है,
अंत में सिंधु में
विलीन हो जाने तक
बनते , बिगड़ते ,तैरते
अंतहीन बुलबुले
समय की धारा में
करते है संघर्षमय सफर।
श्वेता🍁
प्रवाह में
इच्छाएँ हमारी
पानी के बुलबुले से
कम तो नहीं,
पनपती है
टिक कर कुछ पल
दूसरे क्षण फूट जाती है
कभी तैरती है
बहाव के सहारे
कुछ देर सतह पर,
एकदम हल्की नाजुक
हर बार मिलकर जल में
फिर से उग आती है
अपने मुताबिक,
सूरज के
तेज़ किरणों को
सहकर कभी दिखाती है
इंद्रधनुष से अनगित रंग
ख्वाहिशों का बुलबुला
जीवन सरिता के
प्रवाह का द्योतक है,
अंत में सिंधु में
विलीन हो जाने तक
बनते , बिगड़ते ,तैरते
अंतहीन बुलबुले
समय की धारा में
करते है संघर्षमय सफर।
श्वेता🍁