Tuesday, 15 August 2017

उड़े तिरंगा शान से

उन्मुक्त गगन के भाल पर
उड़े तिरंगा शान से
कहे कहानी आज़ादी की
लहराये सम्मान से

रक्त से सींच रहे नित जिसे
देकर अपने बहुमूल्य प्राण
रखो सँभाल अमूल्य निधि
है आज़ादी जीवन वरदान
न भूलो उन वीर जवानों को
शहीद हुये जो आन से
बिना कफन की आस किये
सो गये सीना तान के

सत्तर वर्षों का लेखा जोखा
क्या खोया क्या पाया सोचे
क्या कम है गद्दारों से वो नेता
भोली जनता को जो नोचे
जागो उठो खुद देखो समझो
सुन सकते हो कान से
नर नारायण तुम ठान लो गर
सब पा सकते हो मान से

मातृभूमि के रक्षा से बढ़कर
और कोई भी संकल्प नहीं
आत्मसम्मान से जीने का
इससे अच्छा है विकल्प नहीं
आज़ादी को भरकर श्वास में
दो सलामी सम्मान से
जब तक सूरज चाँद रहे नभ पे
फहरे तिरंगा शान से

    #श्वेता🍁

14 comments:

  1. वाह!!!
    फहरे तिऱंगा शान से....
    बहुत लाजवाब...
    शुभकामनाएं स्वतंत्रता दिवस की....

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।

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  2. वाह ! स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बहुत ही खूबसूरत रचना ।
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीया ।

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सर।
      आपका आशीष मिला।

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  3. स्वतन्त्रता‎ दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ .सुन्दर रचना .

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी तहेदिल से।

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  4. बहुत ख़ूब श्वेता जी
    सुन्दर ! क्रांतिकारी रचना आभार ,"एकलव्य"

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका ध्रुव जी।

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  5. बहुत सुंदर
    जय भारत जय भारती

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    1. जी बहुय बहुत आभार आपका लोकेश जी।

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  6. आपकी लिखी रचना सोमवार 15 अगस्त 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  7. बहुत सुंदर श्वेता ओज और श्रृद्धा से भरे भाव हर दिल में देश प्रेम का जज्बा जगा सकते हैं।
    सुंदर सृजन।
    वंदेमातरम्।

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  8. बहुत प्रेरक ओजस्वी कविता

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  9. उन्मुक्त गगन के भाल पर
    उड़े तिरंगा शान से
    कहे कहानी आज़ादी की
    लहराये सम्मान से.. ऐसी रचना जिसे पढ़ते ही मन हो कि जोश से गाने लगें. बचपन याद आ गया ।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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