Wednesday, 3 January 2018

तुम्हारा ख़्याल


गहराते रात के साये में
सुबह से दौड़ता-भागता शहर
थककर सुस्त क़दमों से चलने लगा
जलती-बुझती तेज़ -फीकी
दूधिया-पीली रोशनी के
जगमगाते-टिमटिमाते
असंख्य सितारे
ऊँची अट्टालिकाओं से झाँकते 
निर्निमेष ताकते हैं राहों को
सड़कों पर दौड़ती मशीनी
 ज़िंन्दगी
लौटते अपने घरौंदे को
बोझिलता का लबादा पहने
सर्द रात की हल्की धुंध में
कंपकंपाती हथेलियों को
रगड़ते रह-रहकर 
मोड़कर कुहनियों को
मुट्ठी बाँधते जैकेट में 
गरमाहट ढूँढ़ते
बस की खिड़की से बाहर
स्याह आसमां की
कहकशाँ निहारते
पूरे चाँद को जब देखता हूँ
तुम्हारा ख़्याल अक्सर
हावी हो जाता है
तुम्हारी बातें 
घुलने लगती हैं 
संदली ख़ुशबू-सी
सिहरती हवाओं 
के साथ मिलकर 
गुनगुनाने लगती हैं
जानता हूँ मैं
तुम भी ठंड़ी छत की
नम मुँडेरों पर खड़ी
उनींदी आँखों से
देखती होओगी चाँद को
एक चाँद ही तो है
जिसे तुम्हारी आँखें छूकर
भेजती हैं एहसास 
जो लिपट जाते हैं मुझसे
आकर बेधड़क,
और छोड़ जाते हैं  
गहरे निशां 
तुम्हारी रेशमी यादों के ।


    #श्वेता🍁

38 comments:

  1. भावों से संपूर्ण,शब्दों से गहरी बेहद खूबसूरत रचना 👌👏

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    1. बहुत बहुत आभार आँचल जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  2. 👌👌वाह श्वेता ज़ी वाह ...
    भावो का अद्भुत उन्वान ...👏👏👏👏👏
    सर्द रात का तन्हा चाँद
    याद तुम्हरी दे जाता
    जर्रा जर्रा याद महकती
    जब भी तुमको छू आता !

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    1. बहुत बहुत आभार आपका प्रिय इन्दिरा,
      आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया एक नवीन उत्साह भर गयी।

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  3. वाह बेहद खूबसूरत रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  4. "तुम भी ठंडी छत की
    नम मुंडेरों पर खड़ी
    उनींदी आंखों से"
    वाह!!!!कमाल की रुमानियत समेटे हुए रेशमाई अहसास.... शब्दों में क्या खुब पिरो दिया आपने... वाकई पढ़ कर बहुत अच्छा लगा..!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अनु,बहुत प्यारी प्रतिक्रिया आप जैसी ही।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  5. नर्म-नर्म सा ...

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    1. अमृता जी ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
      बहुत बहुत आभार आपके प्यारे शब्दों के लिए।

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  6. बहुत सुन्दर‎ अहसास👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी,तहेदिल से.शुक्रिया बहुत सारा।

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  7. वाह कमाल का रचना कोमल अहसासों के तले ..
    सच में
    आकर बेधड़क,
    और छोड़ जाते हैं
    गहरे निशां
    तुम्हारी रेशमी यादों के
    बहुत बढिया..।

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    1. पम्मी जी आपकी प्रतिक्रिया सदैव कुछ खास होने का एहसास करा जाती है:))
      अति आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।

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  8. वाह!! बहुत सुंंदर श्वेता जी ।

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    1. बहुत आभार आपका शुभा जी।तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  9. तुम्हारी बातें
    घुलने लगती हैं
    संदली ख़ुशबू-सी
    सिहरती हवाओं
    के साथ मिलकर
    गुनगुनाने लगती हैं.... बहुत सुन्दर रचना

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    1. बहुत बहुत आभार वंदना जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका बहुत सारा।

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  10. एक चाँद हिन्तो साक्षी है इस दूरी का इस मुहब्बत का जिसके द्वारा जाता है तन्हाई का पैग़ाम ...
    इन ख़ूबसूरत बातों का फ़लसफ़ा ... लाजवाब
    नव वर्ष मंगलमय हो ...

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    1. जी आभार आपका नासवा जी,कभी कभी कल्पना की उड़ान ऐसी भी रचनाएँ बना देती है।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका बहुत सारा।

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  11. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    आज गुरूवार 04-01-2018 को प्रकाशित हुए 902 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। खेद है कि आपको सूचना देने में देरी हुई।
    सधन्यवाद।

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    1. जी बहुत-बहुत आभार आपका रवींद्र जी,मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए।

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  12. बहुत ही खुबसुरत रचना, स्वेता! नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई...

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    1. बहुत-बहुत आभार आपका ज्योति जी।आप के लिए भी शुभकामनाएँ नववर्ष मंगलमय हो।

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  13. बहुत ख़ूब श्वेता जी

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    1. बहुत बहुत आभार रितु जी आपका।

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  14. Khubsurati ke dhage mein page ehsas

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अभि जी।

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  15. वाह्ह्ह श्वेता दी ! (मैं आपको दीदी बुला सकता हूँ ना ?) एकदम हृदय को स्पर्श करने वाली रचना। सारे शब्द एक मोती के लड़ी के भाँति है। भाव, मुख पे मुस्कान की भाँति उभर के आ रही है।
    मुझे बेहद पसंद आया।

    मेरी कुछ पसंदीदा पंक्तियाँ -

    "पूरे चाँद को जब देखता हूँ
    तुम्हारा ख़्याल अक्सर
    हावी हो जाता है"

    "एक चाँद ही तो है
    जिसे तुम्हारी आँखें छूकर
    भेजती हैं एहसास"

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    1. जी,आप निःसंकोच दीदी बुला सकते है हमको:))

      आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया अभिभूत कर गयी।
      बेहद आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया आपका बहुत प्रकाश जी। आपको मेरी रचना पसंद आयी पढ़कर बहुत अच्छा लगा:)

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  16. बेहद खूबसूरत रचना....
    देखती होओगी चाँद को
    एक चाँद ही तो है
    जिसे तुम्हारी आँखें छूकर
    भेजती हैं एहसास
    जो लिपट जाते हैं मुझसे
    आकर बेधड़क,
    अद्भुत, लाजवाब
    वाह!!!

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    1. बेहद शुक्रिया आपका सुधा जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका सुधा जी।ऊर्जा से लबरेज़ आपकी प्रतिक्रिया उत्साह का संचार कर गयी।

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  17. लाज़वाब...बधाई एवं शुभकामनाएं

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    1. बहुत बहुत आभार आपका नीतू जी।

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  18. और छोड़ जाते हैं
    गहरे निशां
    तुम्हारी रेशमी यादों के ।
    बेहतरीन कविता

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  19. अतिसुन्दर रचना स्वेता जी

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  20. ज़िंन्दगी
    लौटते अपने घरौंदे को
    बोझिलता का लबादा पहने
    सर्द रात की हल्की धुंध में
    बेहद खूबसूरत रचना....

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  21. स्नेह से लबरेज. एक एक शब्द जीता जागता सा. बेहद खूबसूरत प्रेममय रचना 👌 👌 👌 👌

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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