चलो फिर से देशभक्ति की रस्म़ अदा करते है
जश्न एक दिन की छुट्टी का जैसे सदा करते है
देशभक्ति के गाने सुने झंडा फ़हरते देखे लाइव
वाट्सएप पर तिरंगे चुनकर सब जमा करते है
गणतंत्र और स्वतंत्र का मतलब समझते नहीं
जो दिला दिला दे मुनाफ़ा उसे ही ख़ुदा करते है
अपशब्द नेता,अभिनेता को कहकर ठहाके लगा
अधिकार और कर्तव्यों पर गर्व हर जगह करते हैं
विविधतापूर्ण संस्कृति से समृद्ध हमारे देश में अनेक त्योहार मनाये जाते हैं। बहुरंगी छवि वाले हमारे देश के राष्ट्रीय त्योहार ही हैं, जो जनमानस की एकता का संदेश प्रसारित करते हैं।
गणतंत्र का मतलब एक ऐसी प्रणाली जो आम जन के सहयोग से विकसित हो।
"गणतंत्र यानि एक ऐसा शासन जिसमें निरंकुशता का अंत करके आम जनमानस के सहमति और सहयोग से जनता के सर्वांगीण विकास के लिए शासन स्थापित किया गया।"
"गणतंत्र मतलब हमारा संविधान,हमारी सरकार हमारे अधिकार और हमारे कर्तव्य"
"गणतंत्र मतलब हमारा संविधान,हमारी सरकार हमारे अधिकार और हमारे कर्तव्य"
संविधान २६जनवरी १९५० मे लागू हुआ वो लिखित दस्तावेज़ है जिसमें हर एक आम और ख़ास के अधिकार और कर्तव्य अंकित है।
साल दर बीत रहे और एक गणतंत्र दिवस के जश्न का दिन आ गया। झंडे फहराकर ,देशभक्ति गीत सुनकर नारे लगाकर मना लेंगे हर बार की तरह। अब तो सोशल मीडिया पर देशभक्ति का ख़ुमार सबसे ज्यादा छाया रहता हैं। आपने dp नहीं चेंज की स्टेटस नहीं अपडेट किया तो क्या ख़ाक देशभक्त है आप।
ये सब करने वाली एक बड़ी जनसंख्या की अनोखी ख़ूबी ये है कि इनमें कितने ही लोगों को स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस का मतलब तक नहीं पता यहाँ तक हमारे तथाकथित अगुआ जनप्रतिनिधि भी अनभिज्ञ है।बार-बार बेचारे कन्फ्यूजन में गणतंत्र की जगह स्वतंत्रता दिवस कह जाते हैं।बच्चों को भी यही लगता है कि दोनों त्योहार गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस एक ही है। बच्चों को उनकी उम्र और छोटी बुद्धि का हवाला देकर झंड़ा फहराना ही प्रमुख है यही बताया जाता है जाने क्यों हम कोशिश भी नहीं करते सही अर्थ समझाने की।
छुट्टी को जमकर मनाने की प्लानिंग पहले ही हो जाती है अगर वीक एंड है तो और अच्छा एक आध दिन की छुट्टी और लेकर कहीं बाहर रिलैक्स हो जाना सबसे शानदार आइडिया होता है। ड्राय-डे होने से ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता है,जिनको जरुरत वो ब्लैक में लेकर जश्न मनायेगें।
इन ख़ुशियों में और एक गणतंत्र दिवस बीत जायेगा फिर से। क्या कभी ऐसा भी दिन आयेगा जब हम देश की ख़ातिर, असहाय ,भूख और लाचारी से लड़ते किसी नागरिक के लिए कुछ सार्थक मदद कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की कोशिश करें। हमारे द्वारा हमारे लिए बनाया गया संविधान तब सही मायने में फलीभूत होगा जब हम सिर्फ अपने अधिकार की बात न करके अपने कर्तव्यों के बारे में भी सोचे।
---- श्वेता
वाह...
ReplyDeleteबेहतरीन
जानकारियो से परपूर्ण भी
कटाक्ष भी
सादर
आपका आशीष मिला...:)
Deleteआभार दी बहुत सारा:)
सादर
वाह!
ReplyDeleteबहुत आभार आपका विश्वमोहन जी।
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुंदर
नीचे का आर्टिकल ले रहा हूँ
जी,बहुत बहुत आभार लोकेश जी।
Deleteवाह!!श्वेता बहुत खूब लिखा आपने । सोशल मीडिया पर तो देशभक्ति के दिखावे की जैसे होड लगी हो ....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका शुभा दी।
Deleteबेहद खूबसूरत....., बेहद सार्थक.....,बढ़िया लेख .
ReplyDeleteबहुत आभार आपका मीना जी।
Deleteसटीक और समय की मांग है श्वेता आपका लेख, आज 60%भारतीयों को पता तक नही आखिर गणतंत्र दिवस है क्या ? बस साल दर साल झंडा फहराके भाषण सुना या सून कर सुबह देर तक सो कर पिकनिक मनाकर या फिर चाय पकौड़ों के साथ तास खेल कर इत्यादि इत्यादि...
ReplyDeleteआपने बहुत सुंदरता से आम व्यक्ति को जानकारी देता मूल्यवान लेख लिखा।
साधुवाद जय हिंद।
गणतंत्र का अर्थ होता है हमारा संविधान - हमारी सरकार- हमारे कर्त्तव्य - हमारा अधिकार।
"जनता का जनता पर जनता द्वारा शासन।"
बहुत बहुत आभार दी आपकी सारगर्भित,सुंदर प्रतिक्रिया आपने मेरे लेख को विस्तार दे दिया दी।
Deleteआपकी प्रतिक्रिया आपका आशीष सदैव बहुमूल्य है। कृपया नेह बनाये रखें।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआप ने तो मन की बात कह दी
बहुत बहुत आभार आपका प्रिय नीतू। हृदयतल से अति आभारी है आपके साथ के लिए।
Deleteआपको बहुत बधाई सुन्दर लेख के लिए
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका रिंकी जी।
Deleteहमारे लिए हमारे द्वारा हमारे लिए बनाया गया संविधान तब सही मायने में फलीभूत होगा जब हम सिर्फ अपने अधिकार की बात न करके अपने कर्तव्यों के बारे में भी सोचे। बिल्कुल सही कहा स्वेता। काश हर भारतीय इस बात पर मनन करे।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति दी।तहेदिल से आभारी हैं हम।
Deleteदेशभक्ति और गणतंत्र को वर्तमान समय की सच्चाई के साथ बिलकुल नये सन्दर्भों और वास्तविक जीवन के साथ रचना/आलेख को सृजित किया है वह कमाल का है
ReplyDeleteहार्दिक बधाई इस प्रयोग के लिए
सादर
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय। आपका
Deleteशब्दाशीष मन मुदित कर गया। हृदयतल से अति आभारी है हम आपके।
वाह बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
जय हिन्द जय भारत
जी बहुत बहुत आभार आपका पुष्पेंद्र जी।
Deleteब्लॉग पर आपका स्वागत है।
जय हिंद जय भारत
सही कहा है आपने ... लोग अधिकार की बात तो हमेशा करते हैं पर कर्तव्य के नाम पर बग़लें झाँकते हैं ... असल गणतंत्र लगता है कोसों दूर है अभी ... लाजवाब शेर लिखे हैं व्यंग की तेज़ धार लिए ...
ReplyDeleteजी सही नासवा जी,आपकी सुंदर सारगर्भित प्रतिक्रिया बहुत अच्छी लगी,शेर पसंद करने के लिए बहुत शुक्रिया। हृदयतल से अति आभारी है आपके।
Deleteआपकी लेखन शैली ने मुझमें भी लेख पढने की चाहत पैदा कर दी है। अन्यथा, लेख पढ पाना मेरे वश की बात नहीं।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लिखा है आपने । ज्ञानवर्धक व रोचक। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं सहित।
आपकी ऐसी प्रतिक्रिया से मन अभिभूत है p.k ji, आपने बहुत मान दिया ऐसा कहकर। हृदयतल से अति आभार आपका। कृपया अपनी शुभकामनाएँ बनाएँ रखें।
Deleteप्रिय श्वेता जी --- बहुत ही सार्थक और सटीक लिखा आपने | गद्य में हाथ जरुर आजमाया करें | इससे विषय को विस्तार मिलता है | आजकल सचमुच यही दिखावे की देश भक्ति रह गयी है | बच्चे तो क्या बड़े भी इसी दिखावे में लिप्त नजर आते हैं | जनसेवा ही सच्ची देशसेवा है लोग भूल ही गए ये बात | आपको गणतंत्र दिवस की अनेकानेक शुभ कामनाएं और बधाई |
ReplyDeleteप्रिय रेणु जी,आपने बहुत अच्छे विचार व्यक्त किये है सच्चाई ही कही है आपने। बेहद आभारी है आपके। आप सदैव अपनी प्रतिक्रिया के द्वारा मनोबल बढ़ा जाती हैं।
Deleteकृपया स्नेहाशीष बनाये रखें।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteबचपन में हम प्रभातफेरी के साथ इस शुभदिन को मनाते थे सभी स्कूली बच्चे उत्साहित रहते थे कई दिन पहले से ही प्रभातफेरी के लिए ...राष्ट्रीय गीतों से ही इस दिन का महत्व समझ आ जाता था....और अब राष्ट्रीय अवकाश....
जन गण मन और हमारा गणतंत्र पर बहुत ही सुन्दर सार्थक और ज्ञान वर्धक जानकारी दी है आपने...
बेहतरीन अभिव्यक्ति....
सही कहा आपने सुधा जी,बचपन की याद दिला दी आपने तो, हमारे स्कूल में निकलती थी प्रभात फेरी। सुंदर ड्रील भी होते थे और देशभक्ति गीत का आलम तो पूछिये मत।
Deleteस्नेहिल प्रतिक्रिया के बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी।
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका राजीव जी।
Deleteबहुत ही खूबसूरत लिखा आपने ! आखिर में कर्तव्य का बोध ! "अधिकार का फल कर्तव्य के फूल में लगता है"
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया ! गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/01/54.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteदेशभक्ति से भरपूर सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख लिखा आपने दिखावे की देशभक्ति पर । ऐसे और भी लेखों की आवश्यकता है ताकि लोग अपनी गलती समझ सकें । सादर ।
ReplyDelete