अप्रैल माह के तीसरे सप्ताह की एक सुबह
पार्क के कोने में मौन तपस्वी-सा खड़े अमलतास
के पेड़ पर फूटते पीले फूलों में आँखें उलझ गयीं।
प्रकृति का संसार भी विचित्र है न कितना? हर ऋतु का स्वागत और श्रृंगार कितनी तन्मयता से करती है। खूबसूरत चटख पीले रंग के सुंदर जालों की कारीगरी अंचभित करती है।
आपने भी देखा होगा न अपने शहर में अमलतास?
भाग-दौड़,जीने की मशक्कत,जीवन की जटिलताओं के बीच गुम होकर, शीशे के झरोखे,भारी परदों,वातानुकूलित कमरों में बंद होते हम आज प्रकृति से दूर हो रहे हैं।
आप भी पढ़िये अमलतास पर फूटते मोहक फूलों को देखकर, महसूस कर लिखी मेरी कुछ पंक्तियाँ
अमलतास
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आहट पाकर गर्मी की
एक पेड़ हौले-से शरमाता है
गरम हवा संग अंगड़ाई ले
पत्तियों का दुपट्टा गिराता है
पत्रविहीन शाखों ने पहने
दिव्य वस्त्र अलंकरण खास
किस करघे से काता गया
कुरता पीला,मखमली लिबास
प्रकृति की कूची अनोखी
रचाये ऋतु अनूठा चित्र
धू-धू दिन के कैनवास पर
पीत तितलियाँ झुंड विचित्र
ताप संग करता परिहास
सड़क किनारें बाँह पसारे
फानूस की झालर अंगूरी
मुग्ध नयन यह रुप निहारे
पथिक थका जो पास है आता
करता बालक-सा मृदुल हास
चुपके से पीला रंग लगाकर
कितना खुश होता अमलतास।
#श्वेता सिन्हा
बेहतरीन रचना श्वेता जी
ReplyDeleteबेहतरीन रचना प्रिय श्वेता दी
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब स्वेता जी ,सच कहा आपने हम प्रकृति से दुर हो चुके हैं ,मेरे घर के सामने भी एक अमलतास का पेड़ हैं सुबह सुबह खिड़की से जैसे ही उसे देखती हूँ दिल्ली की सारी प्रदूष्ण भूल जाती हूँ ,बहुत प्यारी रचना ,सादर स्नेह
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22.4.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3313 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 21/04/2019 की बुलेटिन, " जोकर, मुखौटा और लोग - ब्लॉग बुलेटिन“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteपत्रविहीन शाखों ने पहने
ReplyDeleteदिव्य वस्त्र अलंकरण खास
किस करघे से काता गया
कुरता पीला,मखमली लिबास...
अमलतास की जीवन्तता और निरंतरता को कवि के नजरिये से बखूबी उकेरा है आपने । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया श्वेता जी।
प्रकृति का सुंदर चित्रण
ReplyDeleteप्रकृति की कूची अनोखी
ReplyDeleteरचाये ऋतु अनूठा चित्र
धू-धू दिन के कैनवास पर
पीत तितलियाँ झुंड विचित्र
बहुत सुंदर काव्य चित्र प्रिय श्वेता अमलतास पर भावपूर्ण चिंतन मनमोहक है | सस्नेह शुभकामनायें
पत्रविहीन शाखों ने पहने
ReplyDeleteदिव्य वस्त्र अलंकरण खास
किस करघे से काता गया
कुरता पीला,मखमली लिबास
वाह!!!
बहुत ही कमाल की रचना....प्राकृतिक सौन्दर्य को देखने और उसे लिपिबद्ध करने का आपका अपना अनोखा अनूठा और अद्भुत अंदाज है श्वेता जी !!! बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं...
वाह!!श्वेता ,प्रकृति का बहुत ही मनमोहक चित्रण किया है आपने ,लाजवाब!!👍
ReplyDeleteप्रकृति की सुंदर काव्य चित्रण।
ReplyDeleteसुंदर।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 29 एप्रिल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 मार्च 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह!श्वेता ,प्रकृति के सौंदर्य का अद्भुत चित्रण ।
ReplyDeleteदेखते तो सभी हैं ,पर आपके जैसा कवियत्री हृदय ही इतना शानदार सृजन कर सकता है ।
अमलतास के अंगूरी गुच्छे
ReplyDeleteकितने प्यारे कितने अच्छे
प्रकृति का सौंदर्य समेट कर
भाव लिखे हैं मन के सच्चे ।
प्रकृति सौंदर्य से परि पूर्ण कविता ।
आपकी ये रचनातो मैंने पहले भी पढ़ी है फिर भी दुबारा पढ़कर भी आनंद आ गया,सादर नमन
ReplyDeleteसूरज को डटकर जवाब देता है अमलतास
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
सुंदर अति सुंदर भावों का सृजन..
ReplyDeleteजीवंत शब्द चित्र प्रिय श्वेता। अच्छा लगा फिर से पढ़कर ❤🌹❤❤
ReplyDeleteप्रकृति हर हाल में पवित्र
ReplyDeleteबहुत सुंदर
वाह ! अद्भुत व्यंजनाएं श्वेता अमलतास भी झूम उठेगा अगर पढ़ लेगा उद्गार आपके।
ReplyDeleteप्रकृति से किसी भी एक कण को उठाकर आप उसे घुंघरू पहना देती हो जिसकी झंकार मोहित कर देती है ।
सुंदर अप्रतिम सृजन।
आदरणीया मैम ,
ReplyDeleteअमलतास की सुंदरता का वर्णन करती हुई बहुत ही प्यारी सी मनमोहक रचना।
मैं ने कभी अमलतास नहीं देखा पर आपने दिखा भी दिया और उसकी सुंदरता की अनुभूति भी करा दी। मन करता है कि अमलतास की यही सुंदरता देखते हुए, उसकी छाया में बैठ कर वसंत ऋतू का आनंद लूँ।
इतनी प्यारी और सरल है की इसे किसी विद्यालय की हिंदी पाठ्यपुस्तक में होना चाहिए।
एक बहुत ही प्यारा शब्द -चित्र जो हम सब को बड़ी सहजता से अमलतास की कल्पना करा देता है और बच्चों को यह कविता पढ़ कर और भी आनंद आएगा।
काश मैं ने भी यह कविता अपने स्कूल में पढ़ी होती। सुंदर रचना के लीयूए पुनः आभार व आपको प्रणाम।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 05 जून 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आज अमलतास तुम्हारी नज़र से देखा । अत्यंत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर 🌼🌼🌳🌳
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