करती हूँ प्रणाम उनको,शीश नत सम्मान में है,
प्राण दे,इतिहास के पृष्ठों में अंकित हो गये
जिनकी लहू की बूँद से माँ धरा पावन हुई
माटी बिछौना ओढ़ जो तारों में टंकित हो गये।
प्राण दे,इतिहास के पृष्ठों में अंकित हो गये
जिनकी लहू की बूँद से माँ धरा पावन हुई
माटी बिछौना ओढ़ जो तारों में टंकित हो गये।
चित्रलिखित चित्त लिए चिता सजाते पुत्र की
क्षीर, नीर, रिक्त आँचल स्मृतियाँ टटोले सूत्र की,
मौली,रोली राखी टीका बचपना धर कंठ में
देश की रज भाल पर मल जो चंद्रांकित हो गये।
पोंछकर सिंदूर अपना शृंगार करती देश का
देह,मन औ प्रीत समिधा शांति यज्ञ परिवेश का,
तपस्विनी तेजोमयी के चक्षुओं से स्वप्न झरकर,
शिखर पर हिम के तिरंगे संग रेखांकित हो गये।
स्वतंत्रता का गीत दिव्यात्माओं का उपहार है
शौर्य गाथा पीढ़ियों की स्वदेश प्रेम का सार है
नमन है उनको प्रथम, बलिदान जो अज्ञात हैं
हो विलोपित पटल से हृदय में शीर्षांकित हो गये।
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-श्वेता सिन्हा
१५ अगस्त २०२१
शुभकामनाएं..
ReplyDeleteस्वतंत्रता का गीत दिव्यात्माओं का उपहार है
शौर्य गाथा पीढ़ियों की स्वदेश प्रेम का सार है
नमन है उनको प्रथम, बलिदान जो अज्ञात रहे
हो विलोपित पटल से हृदय में शीर्षांकित हो गये
सादर..
आपकी लिखी रचना सोमवार 16 ,अगस्त 2021 को साझा की गई है ,
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
ReplyDeleteपोंछकर सिंदूर अपना शृंगार करती देश का
देह,मन औ प्रीत समिधा शांति यज्ञ परिवेश का,
तपस्विनी तेजोमयी के चक्षुओं से स्वप्न झरकर,
शिखर पर हिम के तिरंगे संग रेखांकित हो गये।
बहुत आवश्यक है उन वीरों को और उनके परिवारों को याद करना जिनके कारण आज हम ये आज़ादी का जश्न मना पा रहे हैं ...... तुमने बहुत सुन्दर शब्दों में मन के इन भावों को बांधा है ...मेरा भी प्रणाम शहीदों को ...
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (16-08-2021 ) को 'नूतन के स्वागत-वन्दन में, डूबा नया जमाना' ( चर्चा अंक 4158 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया। सच्चाई से परिपूर्ण
ReplyDelete15 अगस्त को शहीदों को याद कर उन्हें नमन करना और आज़ादी दिलवाने के लिए आभार मान धन्यवाद करना हमारा धर्म है
ReplyDeleteउम्दा सृजन हेतु साधुवाद
वाह!श्वेता ,बहुत खूबसूरत सृजन । उन सभी अज्ञात शहीदों को शत शत नमन 🙏🏻
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना। शहीदों को शत शत नमन 🙏🏻
ReplyDeleteगुमनाम चेहरे जिनका बलिदान लाया स्वतंत्र , उनको प्रणाम
ReplyDeleteसुन्दर और प्रेरक कविता।
ReplyDeleteप्रेरक रचना...।
ReplyDeleteचित्रलिखित चित्त लिए चिता सजाते पुत्र की
ReplyDeleteक्षीर, नीर, रिक्त आँचल स्मृतियाँ टटोले सूत्र की,
मौली,रोली राखी टीका बचपना धर कंठ में
देश की रज भाल पर मल जो चंद्रांकित हो गये।
सही कहा स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें कैसे न याद करे़ जिन्होंने अपने पुत्र भाई पति पिता हमेशा हमेशा के लिए देशहित न्यौछावर कर दिये...।
बहुत ही उत्कृष्ट सृजन।
नमन है उनको प्रथम, बलिदान जो अज्ञात रहे
ReplyDeleteहो विलोपित पटल से हृदय में शीर्षांकित हो गये।
------बहुत मार्मिक रचना !