Thursday, 25 July 2019

कैसी होंगी?

कारगिल दिवस(26 जुलाई) वीर सपूतों के नाम 
घर से दूर वतन के लिए प्राण न्योछावर करने को हर पल तैयार
एक सैनिक मन ही मन अपने परिवार के लिए कैसा महसूस करता होगा 
इसे शब्द देने का मेरा छोटा सा प्रयास-


गर्वोन्नत, मैं हूँ सीमा-प्रहरियों से
झूमता बंदूक की स्वर लहरियों से
सोता नहीं मैं जागता मुस्तैद हूँ
मैं सिपाही अकेला ही जुनैद हूँ
माटी तिलक कर मन ही सोचूँ कहीं
बिन मेरे घर की दीवारें कैसी होंगी?

बादलों की तैरती मछलियों से
मैं पूछता हूँ अक्सर तितलियों से
खिलखिलाता बचपने का रंग 
तुतलाती बातूनी परियों का ढंग
मेरे आँगन जो चिड़िया चहक रही
उसकी मुस्कान कैसी होगी?

जेब में रक्खी चिट्ठियों से
पूछता हूँ अपनी हिचकियों से
सावन के झूलों से मुँह फेर जाती
न कज़रा न मेंहदी न चूड़ी सजाती
रह-रहकर अपना दुपट्टा भींगाती 
मेरी याद में मेरी जोगन कैसी होगी?

तपते दिन,चुभती बर्फीली सर्दियों से
पूछता हूँ छूकर अपनी वर्दियों से
मौसमी तीज-त्योहारों की उबासी 
माँ के पैरों का दर्द,बाबा की खाँसी 
थककर निढाल हुई जिम्मेदारियों पर
मेरी छुट्टियों की सौगात कैसी होगी?

 #श्वेता सिन्हा

10 comments:

  1. बहुत जबरदस्त
    जय भारत

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  2. सादर नमन
    बेहतरीन रचना

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  3. जेब में रक्खी चिट्ठियों से
    पूछता हूँ अपनी हिचकियों से
    सावन के झूलों से मुँह फेर जाती
    न कज़रा न मेंहदी न चूड़ी सजाती
    रह-रहकर अपना दुपट्टा भींगाती
    मेरी याद में मेरी जोगन कैसी होगी?.....नि:शब्द सृजन दी जी
    कलेजा निकाल शब्दों में पीरों दिया |
    बेहतरीन सृजन हृदयस्पर्शी

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  4. बेहद हृदयस्पर्शी रचना

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  5. सादर नमन। सुंदर भावाभिव्यक्ति।

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  6. बहुत अच्छी सामयिक रचना !
    अमर वीर शहीदों को शत-शत नमन!!

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  7. शहीदों को सादर नमन

    दो शब्द शहीदों के नाम ---

    वे भी किसी की आँखों का सपना

    माता पिता के दुलारे थे

    नन्हे बच्चों का संसार- सम्पूर्ण

    बहनों के भाई प्यारे थे !



    ' तेरा वैभव रहे जग में

    माँ दे अपना बलिदान चले ''

    ये कहकर मिटे लाल माँ के

    जो घर आंगन के उजियारे थे !



    धुन थी ना झुके तिरंगा ,

    तन जान भले ही मिट जाए ;

    शत्रु ने लाख जतन किये -

    पर ये दीवाने कब हारे थे ?



    उनकी याद मिटादें जो ,

    कहाँ हम सा कोई कृतघ्न होगा ?

    उनकी क़ुर्बानी याद रहे ;

    यही उनका पूजन -वन्दन होगा |

    वीर शहीदों को कोटि कोटि नमन !!






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  8. बेहद सुंदर, बेहद संवेदनशील रचना।
    आखिर सैनिक भी इंसान हैं, उनके अंदर के मनोभावों का सुंदर चित्रण !!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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