Saturday 20 June 2020

सैनिक मेरे देश के



सूर्य की किरणें
निचोड़ने पर
उसके अर्क से
गढ़ी आकृतियाँ, 
सैनिक मेरे देश के।

चाँदनी की स्वप्निल
डोरियों से 
उकेरे रेखाचित्र
स्निग्ध,धवल 
बुनावट,यथार्थ की
मोहक कलाकृतियाँ,
सैनिक मेरे देश के।

पर्वतों को
गलाकर बाजुओं में
धारते, वज्र के
परकोटे, 
विषबुझी टहनियाँ,
सैनिक मेरे देश के।

लक्ष्मण रेखा,
सीमाओं के
जीवित ज्वालामुखी,
शांत राख में दबी
चिनगारियाँ,
सैनिक मेरे देश के।

हुंकार मृत्यु की
जयघोष विजय,
शत्रुओं की हर
आहट पर
तुमुलनाद करती
दुदुंभियाँ,
सैनिक मेरे देश के।

माँ-बाबू के
कुम्हलाते नेत्रों की
चमकती रोशनी,
सिंदूरी साँझ में
प्रतीक्षित विरहणियों की
फालसाई स्मृतियाँ,
सैनिक मेरे देश के।

सभ्यताओं के
बर्बर छत्तों में
जीवन पराग 
हँस-हँसकर त्याजते,
मातृभूमि के लाड़ले सपूत,
मानवता की बाड़ की
दुर्भेद्य कमाचियाँ,
सैनिक मेरे देश के।

©श्वेता सिन्हा
२० जून २०२०

8 comments:

  1. उत्साह वर्धक रचना..
    आभार..
    सादर..

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर और ओजपूर्ण रचना।
    योग दिवस और पितृ दिवस की बधाई हो।

    ReplyDelete
  3. सभ्यताओं के
    बर्बर छत्तों में
    जीवन पराग
    हँस-हँसकर त्याजते,
    मातृभूमि के लाड़ले सपूत,
    मानवता की बाड़ की
    दुर्भेद्य कमाचियाँ,
    सैनिक मेरे देश के।
    वाह ! प्रिय श्वेता नवल बिंब विधान से सुसज्जित माँ भारती के अडिग वीरों का ये प्रशस्तिगान बहुत ही अद्भुत और प्यारा है। प्रकृति ने अपने विलक्षण गुणों से युक्त कर रचना की है हमारे वीरों की , तभी इतिहास के पन्नों पर उनके पराक्रम की अंनगिन गाथाएँ अंकित हैं -जो अचंभित करने वाली हैं। दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले, हमारे वीर सदा सलामत रहे और मातृभूमि का मान सम्मान बढ़ाते रहे , यही दुआ है। हृदयस्पर्श करने वाली रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। 🌹🌹🙏🌹🌹

    ReplyDelete
  4. वाह!!!!
    देश के सैनिक सूर्यार्क से तेजस्वी, पर्वतीय बज्र से निर्मित कठोर भुजाओं वाले शान्त राख में दबी चिनगारी से दुश्मन को भष्म करने की क्षमता रखने वाले और अपने परिवार एवं देश के आँखों के तारे हैं...भारतमाता के लाडले वीर सपूत दुश्मन केहर जबाब देने में सक्षम हैं ....
    जय हिन्द की सेना...
    लाजवाब सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई ।🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  5. बहुत ओज़स्वी ...
    सैनिक अपनी जान की बाज़ी लगा कर सीमाएं सुरक्षित रहते हैं ... माँ भारती के सच्चे सपूत हैं वो ... मेरा कोटि कोटि नमन है ...

    ReplyDelete
  6. अति उत्तम ,लाजवाब ,शत शत नमन ऐसे वीरों को ,बहुत ही खूबसूरत रचना ह्रदयस्पर्शी

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...