Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मैं से मोक्ष...बुद्ध
मैं नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता मेरा हृदयपरिवर...
मैं नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता मेरा हृदयपरिवर...
बेहतरीन ..
ReplyDeleteसादर
द्रष्टा और दृश्य की परिभाषा
ReplyDeleteजन्म-मरण अहर्निश प्रत्याशा
सोख लेती है अतृप्ति चिड़़िया
बूझो अगर तुम उसकी भाषा
बहुत खूब प्रिय श्वेता!
चिड़िया की प्रत्येक गतिविधि जीवन में आनंद से परिचय कराती है. ना जाने क्यूँ सब पक्षियों में खास है चिड़िया! पर हम उसकी भाषा जाने तभी उस आनंद को जान सकते हैं. गुलकंद सा मिठास भरा सृजन. हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 12 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteलाजवाब सृजन!!!
ReplyDeleteद्रष्टा और दृश्य की परिभाषा
ReplyDeleteजन्म-मरण अहर्निश प्रत्याशा
सोख लेती है अतृप्ति चिड़़िया
बूझो अगर तुम उसकी भाषा।
प्रभावशाली लेखन - - शब्दों का साहित्यिक चयन व प्रवाह मुग्ध करता है।
कायनात की अनुपम कृति है, पक्षी ! इनको देखना ही सकून दे जाता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सराहनीय
ReplyDeleteBahut khub apne ye kafi sunder likha hai. Asha krta hun ki bhavishya me bhi aap ese hi ache vichar likhti rahengi
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteद्रष्टा और दृश्य की परिभाषा
जन्म-मरण अहर्निश प्रत्याशा
सोख लेती है अतृप्ति चिड़़िया
बूझो अगर तुम उसकी भाषा।
उत्कृष्ट रचना ।
बाँच लेती है पाती चिड़िया बादल और हवाओं की । बूझो अगर तुम उसकी भाषा । बिलकुल सही । सुंदर कविता है यह अपकी श्वेता जी ।
ReplyDeleteधरती की गहराई को
ReplyDeleteमौसम की चतुराई को
भांप लेती है नन्ही चिड़िया
आगत की परछाई को।
------------------
वाह ..बहुत खूब। सुंदर प्रस्तुति।
रश्मि की सजल अल्पना वाह! क्या ही मोहक अंदाज है श्वेता बहुत प्यारी रचना सार लिए अर्थ लिए।
ReplyDeleteसुंदर सृजन के लिए बधाई।
सस्नेह।
कानन की सीली गंध लिए
ReplyDeleteतितली-सी स्वप्निल पंख लिए
नाप लेती है दुनिया चिड़िया
मिसरी कलरव गुलकंद लिए।
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर मनभावन लाजवाब सृजन।